देवी - रूप
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अनेक
प्रतिबंध सहज सहन कर लेती, वह नारी है एक स्तुत्य देवी।
एक
सौम्य स्वभाव, मृदुल अभिव्यक्ति, उपस्थिति जैसे काँटों में गुलाब
कारुण्य
नयन, प्रसन्नचित्त मुख, है स्थिरचित्त, शील-गुणों की आकर।
तन-मन
से सुदृढ़, अंतः में शुचिता, न अतिश्योक्ति, निज चादर में पाँव
ममता
की मूरत, सच्ची सहभागिनी, माँ-बहन-बेटी बड़े संपूज्य नाम।
एक
मरुस्थल में जैसे रिमझिमी-बौछार, रिक्तिता जैसे असभ्यों का वास
जननी,
पालक, शिशु-दुलारिनी, कष्ट सहकर भी संतति का रखरखाव।
अभिभावक-स्नेहा,
आज्ञा-पालिका, बिन नाज-नख़रे के सब सहन करती
द्वि-कुटुंब
धरोहर, बड़े यत्न से पाली, सेवा-सुश्रुषा से सब वश कर लेती।
सीप
में मोती, बाह्य खोल में गिरी, मिश्री सी डली, वनस्पतियों में तुलसी
वह
मसालों में हल्दी, अमृत बूंद, फटेहाल में खुशहाली, हर्षित स्मृति।
मीठे
पानी की कूँई, मिठाईओं में सेंवई, पालतुओं में गाय, भुजंग-मणि
एक अति
गुणवती, प्रत्युत्पन्नमति, निर्मल चरित्रिणी, प्रेमी की वल्लभी।
जैसे
अंधकार में ज्योति, आँखों में घी, है दूध में मलाई, सरदी में रजाई
रक्षिणी,
सर्वदुःख-तारिणी, प्रियदर्शिनी, चक्षु-प्रसादिनी, मधुर-भाषिणी।
धूप
में शीतल छाँव, घायल की पट्टी, है भूखे की रोटी, बुढ़ापे की लाठी
आत्मीय
मित्र, विश्वासी सुहृद, वृहद-उत्पादिनी, वातावरण-सँवारिणी।
संगीत
में रागिनी, वाद्यों में वीणा, विद्या-देवी, धन-धान्यों की लक्ष्मी
लेखक की कलम, कवि की कविता, यज्ञ की अग्नि, पावन सी स्मृति।
परिश्रम
की देवी, जगत्माता, मानव की पूर्णिनी, हिमांशु की चाँदनी
अरुण-लालिमा, नभ-सुंदरता, झील सी गहरी, सरसों सी सुनहली।
सर्वत्र-अग्रिणी,
श्रेष्ठ अनुगामिनी, सदविचारिणी, पूर्ण न्यौच्छावरिणी
झील सी
शांत, गगन-ऊँचाई, है सौंदर्य की देवी, सर्वगुण स्वामिनी।
धन की
कुँजी, नर की कमजोरी, है तोते की जान, विद्वान का ज्ञान
मेरी
भी संगिनी, पुत्री-बहन का प्यार, माँ नहीं पर हैं सुभाशीष साथ।
पवन कुमार,
३० मार्च, २०२३ गुरुवार, समय ५:५८ बजे प्रातः
(मेरी महेंद्रगढ़ डायरी दि० २८ मार्च, २०१९ वीरवार समय प्रातः ९:०५ बजे)