निर्मल धारा
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थोड़ा प्रकाश भी आवश्यक एक आशा हेतु, अंधकार में प्राणी सशंकित ही रहता
एक पथ प्राप्त गति हेतु, मन कुछ आशान्वित, चलो अधिक खतरा न अब दिखता।
एक रोशनी-किरण भी अँधेरा चीरने में सक्षम, अतः हममें आशा जगनी चाहिए ही
नित सकपकाए-भीत-निराश-असमंजस न रहें, अंततः जीवन-पर्याय ढूँढने जरूरी।
माना कई जग-व्यवधान, लोग बहु-क्लेशग्रसित, गरीबी-शोषण-अशिक्षा व्याप्त अति
पर साहसी समस्याओं से निबट लेते, जीवन सरल होता, स्थिति सुधरती ही रहती।
देखिए दुनिया विकास पथ पर, अनेक प्राण सुधर रहे, लोग बढ़िया खा रहें, जी रहें दीर्घ
घोर निर्धनता घट रही, शिक्षा का स्तर-प्रसार बढ़ा, संचार-तंत्र सशक्त, जन निर्भीकतर।
विभिन्न क्षेत्र-राज्य-राष्ट्र, या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई संगठन, आम मनुज की करते बात
किसी को दबाना अब कठिन, शासनों को उत्तर देना पड़ता, असहनीय अन्याय आज।
मैं मानता वर्तमान जग-व्यवस्था ऐसी जहाँ सब लोग शामिल, वे अपनी नज़रों से देख रहे
पहले से अधिक जागरूक, सब शासकीय-देशीय-अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं से परिचित रहते।
कई तरह के विचार-आयाम समक्ष आते, परिपक्व बनाते, एक निर्मल धारा में बहने लगते
तब अड़ियलपन, व्यर्थ श्रेष्ठता-भाव, बल-ज्ञान गर्व दुर्बल आरंभ, नर परस्पर पास आते।
एक आशा प्रबल चाहिए सब व्यवधानों से निर्गम संभव, अब तक भी तो जैसे-तैसे जीवित
तुम जीवन कदापि हेय न समझो, हाँ कई आर्थिक-सामाजिक परिस्थितियाँ करे व्यथित।
पर घबराने की किंचित भी न आवश्यकता, कोई करुण सहाय आ ही जाएगा समय पर
हाँ निज हाथ जगन्नाथ चाहिए, जब स्वयं खड़े होवो तो भाग्य भी खड़ा होगा, जागो अतः।
हमें व्याप्त थोड़े अंतरों का आदर करना चाहिए, छोटी-मोटी पहचान की कद्र भी जरूरी
हाँ निज को एक सम्मानित पटल पर लाने हेतु बड़ी पहल हो, सस्ते में न बैठना चाहिए।
विश्व में लघु प्राणियों को भी स्व अधिकार रक्षा करते हुए, देखा जा सकता ही बड़े सहज
कुत्ता भी अपनी गली में शेर, नीड़ निकट जाने पर पक्षी शोर मचाते, स्वार्थ समझते सब।
यहाँ दबी-कुचली-त्रसित-दमित-संतापित-प्रताड़ित-निम्न जीवन बहुल मानवता खंड को क्या संदेश
कि वे कदापि निज को न कमतर आंकें, माना परिस्थितियाँ आज विषम, पर भाग्य परिवर्तित सदैव।
तुम्हें अंतः-स्थल में एक पूर्ण विश्वास रखना होगा, सुयोग्यों को प्रेरक मार्गदर्शक रूप में होगा देखना
अपने दुराग्रह-ईर्ष्या-द्वेष-संकीर्णता तज, एक उच्चतर मानव रूप में स्व-स्थापन निज दायित्व समझ,
भली आशा का दामन पकड़, उन्नतिपरक सकारात्मक दिशा में उत्साह-मनोबल संग बढ़ते है जाना।
पवन कुमार,
१० जनवरी, २०२१ रविवार समय ९:२३ बजे प्रातः।
(मेरी डायरी २० अक्टूबर, २०२० मंगलवार समय सुबह ९:०१ बजे से)
एक्सीलेंट सर
ReplyDeleteRam Dutt : Nice
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