देश-दशा परिवर्तन
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सचमुच यह भारत देश-समाज प्रगति माँगता, बातें कम व कर्म पर हो ध्यान अधिक
इसे विकसित बनने हेतु समग्र प्रयास चाहिए, यदि उत्साह तो संग चलेगा भी विश्व।
दुनिया में अनेक सफल उदाहरण हैं,
कुछ १०० वर्ष पूर्व सिंगापुर समुद्री डाकूओं से भरा एक बैक-वाटर कुख्यात सा टापू था
प्रधानमंत्री ली क्वान ने १९५९ में देश की कमान थामी, 1990 तक कायाकल्प कर दिया।
माना यह एक नगर राष्ट्र है, जहाँ बड़े देशों की अपेक्षा विकास करना है अधिक संभव
पर विज्ञान-तकनीक क्षेत्रों में इसने महत्वपूर्ण काम किया, स्वयं को बनाया विकसित।
निश्चित ही एक बड़ी जनसंख्या को योग्य बनाने की देश के योग्य नेताओं का दायित्व
वे अपने समाज-देश हेतु एक निर्मल स्वप्न देखते, जी-जान लगा पूरा करने का यत्न।
कलात्मकता है एक प्रमुख विधा, प्रतिबद्ध तंद्रा त्याग कार्यरत तो दर्शित सुपरिणाम
जब राष्ट्र-उत्पादकता वृद्धि तो समृद्धि स्वतः ही, पर मात्रा संग गुणवत्ता भी प्रधान।
दूजे महायुद्ध बाद जर्मनी-जापान थे भुखमरी-कगार पर, एक दशक में कायाकल्पन
आज जापान एक सफलतम राष्ट्र, यद्यपि प्राकृतिक सुनामी-भूकंपों से नित बाधित।
किंतु गुणवत्ता पर अचूक ध्यान, हर जीवन-गतिविधि
पर नागरिक देश प्रति समर्पित
विज्ञान-तकनीकों संग उत्तम-निर्माणों पर बल, निज उत्पादों हेतु बनाया एक स्थल।
जर्मनी
तो भारी मशीनरी-निर्माण
में अति प्रगतिशील, सारी दुनिया में उत्पाद निर्यात
बेल्जियम-बायोतकनीक अति उत्कृष्ट श्रेणी की, नागरिक राष्ट्र-नाम न करते धूमिल।
चीन
ने गत 500 वर्ष की निर्धनता हटाई है, ८-१० % की
दर से अर्थव्यवस्था रही बढ़
गाँवों का शहरों में प्रभावी पुनर्निर्माण, शीघ्र ही विकसित राष्ट्रों में होगा सम्मिलित।
निकट सफल संस्थाओं को भी देखो, कार्य-उत्पादकता में गर्व संग लाती उत्कृष्टता
उनके कर्मी पूर्ण प्रतिबद्ध, समय का गुणवत्ता से प्रयोग, श्रेष्ठजनों की सुनते सलाह।
सचमुच
वरिष्ठतम को अति संयमित-कर्मठ-प्रेरक बनकर सुसमाधान चाहिए
अवर भी वैसा करते अनुसरण, चाहे मितभाषी हो पर आचरण का प्रभाव पड़ता।
अमेरिका तो विकसित है, माना उसके विद्यार्थी विज्ञान-गणित में न उत्कृष्ट अति
पर चीन-ताइवान-भारत आदि से कार्य-क्षेत्रों हेतु वह लेता सेवाऐं प्रतिभावानों की।
देशों का सुभविष्य है विज्ञान-तकनीक में, मात्र नकल न कर मूल-अन्वेषण श्रेयस
जितनी अधिक श्रम है, उतना ही रंग, देश-दशा सुधारने का जिम्मा तुम्हारा भी।
पर विडंबना है कि मात्र न हो विचार, प्रतिदिन निरंतर प्रगति हेतु हो बड़ा यत्न
इच्छा कि जग-प्रगति में महद गति से हूँ सम्मिलित, नई तकनीकें हों प्रयोग
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