मानव इतिहास
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कटुता भुलाओ, कब तक सदियों के उत्पीड़न का हिसाब रखोगे, उभरो संकुचन से
जग में सब तरह की धाराऐं हर काल में रहती, दुश्मनी बदलती रहती दोस्ती में।
शुक्रिया कि संघर्ष-ताप सहते हुए यहाँ तक आ गए, उज्ज्वल भविष्य प्रतीक्षा कर रहा
गरीबी-अमीरी में एक सतत युद्ध चलता रहता, चोट कमजोर को ही पड़ती ज्यादा।
सत्ता हेतु अनेक युद्ध हुए, लोगों की जमीनें, घर-बार, कुटुंब-प्रजा, राजपाट लुट गए सब
अनेक नृशंष हत्याऐं हुई, बच्चों तक को मार डाला गया, औरतों को बना लिया बंधक।
कुछ सहस्र वर्षों का मानव-इतिहास देखें, अनेक जुल्म धर्म-देश-जाति-नस्ल विभेद नाम पर
कहीं पर शासक-लोभ, दूर-देशों के लुटेरों ने आ तबाही की, कत्ले-आम किया, की लूटपाट।
अपने विरोधियों को मार-काट गिराया, इतना जुल्म कि कई पीढ़ियाँ तक कर दी गई समाप्त
कभी के राजा अब भीख माँगने को मजबूर, औरत-बच्चों से मजदूरों की तरह लिया काम।
कुछ शख्सों को बाजू-ताकत पर विश्वास था, तलवार लेकर जो भी समक्ष आया दिया काट
एक-२ ज़ालिम इस धरा पर हुए, जिंदगी की न कतई भी इज्जत, बस ताकत पर अभिमान।
एक अति-क्रूर मानस सा बना लिया, सारी दुनिया से घृणा, उसने सबक़ सिखाया है इसको
दुनिया के चप्पे-२ पर निज कब्ज़ा हो यही पक्का मंसूबा, चाहे जो भी तरीका हो, अपना लो।
दुनिया में निस्संदेह मारकाट का इतिहास रहा, दबंगों ने पूरी आबादी ही कर दी ख़त्म
अपने जैसे वहाँ बैठा दिए, मूल-निवासी खेदड़ या मार दिए, या में लगा दिए सेवक-कर्म।
दूर-प्रदेश के लोगों को ज़बरन पकड़ खेतों में बेगारी करवाते, जानवरों सा करते व्यवहार
कोड़े मार अधिकतम काम लो, जंगल साफ़ करा, पत्थर ढुलवा, सड़कें बनवा, खेती करवाओ।
कुछ लोगों के दिमाग़ में अवश्य ही शैतान का कीड़ा रहता, सदा दुनिया से शिकायत रहती
अपने साथ चाहे बड़ी ज़बरदस्ती न हो, लेकिन प्रतिशोध की प्रबल अग्नि रग-२ में खोलती।
बस मार डालो, मिटा दो, कल सब हमारा होगा, लोगों को तुम मौका ही न दो उबरने का
कहते हैं कोल्हू के चक्के में बस घुसना चाहिए, मोटा-पतला पिल सब एक जैसा हो जाएगा।
जो कल बादशाह थे उनके वंशज आज कहाँ, पता भी न कहीं चाय की दुकान लगाए हों
थोड़े दिनों में तो निज पहचान भूल जाते, मर्द मार दिया जाते, बच्चों को नौकर बना दो।
जब अपने इतिहास का परिचय ही न, तो कैसे ज्ञात किस राजा या धनी की हो संतान
नर-निर्मूल कर दिए जाते, कोई शिक्षा-ज्ञान परंपरा न, या कुछ दस्तावेज़ ही उपलब्ध।
विभिन्न दृष्टांत आततायियों के, चंगेज़ खां ने कुछ २० वर्ष में ३० लाख लोग संहार किए
ईरान के नादिरशाह ने २२ मार्च, २२ मार्च, १७३९ को हजारों दिल्ली नागरिक क़त्ल किए।
तख़्ते-ताऊस यानि मयूर-सिंहासन, मशहूर कोहिनूर हीरा व दरया-ई-नूर को वह ले गया
दिल्ली की लूट इतनी बड़ी थी कि नादिर में ईरान में तीन वर्षों तक कर ही हटा दिया।
दिल्ली से २ करोड़ रूपए वसूले, निर्बल मुग़ल शासक मोहम्मद शाह ने खज़ाने की चाबी दी
लंबे समय तक गलियाँ मुर्दों से पटी थी, बागान-पथ गिरे पत्तों से ढ़के, शहर राख़ में गया बदल।
चांदनी-चौक, दरीबाँ कला, फ़तेहपुरी, फैज़ बाज़ार, हौज़-काज़ी, जौहरी बाज़ार, लाहौरी-अजमेरी
व काबूली दरवाजे जो हिंदु-मुस्लिम आबादियों से महफूज़ थे, लाशों में परिवर्तित
मुस्लिम-हिंदुओं ने समर्पण के बजाय औरत-बच्चों व खुद को मारना शुरू दिया कर।
अगस्त १३९८ में तैमूर-लंग ने काबुल से अपना अभियान चालू किय, दिसंबर में दिल्ली पहुँचा
दिल्ली-मार्ग में कस्बें घेरे व लूटे, अंतिम तुग़लक़ सुल्तान महमूद शाह दिल्ली छोड़ भाग गया।
तैमूर ने लोगों को मारने-काटने व लूटने का आदेश दिया, जो पंद्रह दिन तक लगातार चला
लगभग एक लाख आदमी मारे गए, सीरी, पुरानी दिल्ली व जहाँपनाह को तबाह कर दिया।
उसने जनवरी १३९९ में जाते हुए पथ में मेरठ, हरिद्वार, कांगड़ा व जम्मू को बुरी तरह से लूटा
कई सुंदर भवन-मंदिर नष्ट, हिंदुस्तान के अच्छे कारीगर समरकंद में निज भवन निर्माणार्थ ले गया।
बहुत सी दौलत ली, फसलें नष्ट कर दी, बीमारी फ़ैल गई, हिंदु-मुसलमानों में शत्रुता वर्धित
उसका इतना डर कि औरतें तैमूर नाम से बच्चों को डराने लगीं, बाल-विवाह गया बढ़।
१७४१-५१ में मराठाओं की बंगाल-फ़तेह मध्य, बिहार-बंगाल के लाखों लोग मारे गए
१७५७-५८ में मराठाओं द्वारा अफ़गान-फतेह में, हज़ारों अफ़गान-सिपाही मार दिए गए।
१७६१ के पानीपत-युद्ध में अफ़गानों ने हजारों मराठा मरे, अनेक औरत-बच्चे दास बनाए
१७६१ में वड्डा घल्लूघारा पंजाब में अहमदशाह दुर्रानी द्वारा अनेक सिख क़त्ले-आम कर दिए।
१९२१ में मालाबार केरल में खिलाफ़त-आंदोलन में हजारों लोग मरे, १ लाख स्थायी भगा दिए
आज़ादी बाद १९४८ के हैदराबाद-विलय दौरान नरसंहार हुआ, हजारों की संख्या में लोग मरे।
२६१ ईसा पूर्व युद्ध में सम्राट अशोक के समय, १ लाख कलिंग के व उतने ही मौर्य सैनिक मारे गए
कलिंग वीरता से लड़े पर हार गए, हज़ारों नर-नारी उड़ीसा से बाहर ले जा वन-सफाई में लगाए।
युद्ध-हिंसा से अशोक अति-मामहर्त हुआ, हिंसा छोड़ अहिंसा अपनाई, बुद्ध-शरण में आ गया
उपरांत उनका ४० वर्ष काल बड़ी शांति व् प्रजाहित में बीता, और समृद्धि व भाईचारा बढ़ा।
कहते हैं महाभारत के कौरव-पांडव युद्ध में कुरुक्षेत्र-भूमि रक्त से शोणित-वर्णी गई हो
अनेकानेक सैनिक व राजा खत्म हो गए, जो बाहर से भी लड़ने आए थे, ख़ाक गए हो।
कौरव तो खैर सारे मारे ही गए, पांडवों का भी बड़ा नुकसान, द्रौपदी के मरे पाँचों पुत्र
महावंश ज्ञानी-विद्वान सब हिंसा-उद्वेग-रोष की चपेट में , हानि का कोई हिसाब न।
प्राचीन राम-रावण युद्ध दौरान अनेक लोग दोनों तरफ से मारे गए, गाथा - कथन
कितने परिवार स्थायी रूप से उजड़ जाते हैं, कोई सहारा देने वाला भी बचता न।
अनेकानेक युद्ध भारत-भूमि पर ही हुए हैं, असुर-देव संग्रामों के अनेक बखान हैं
कालिदास का कुमार-संभव असुर-नृप तारक की मृत्यु हेतु शिव-उमा के यहाँ
कार्त्तिकेय के जन्म-पूर्व की कथा है।
वर्तमान पूज्या दुर्गा चरित्र ने महिषासुर-वध किया, नरसिंह ने किया हिरण्यक्षिपु-वध
जिन्हें आज नायक-देव या भगवान मानते, इन्होने किन्हीं बड़े युद्धों में पाई विजय।
पर युद्ध तो अति-विनाशकारी हैं अनेक दुष्परिणाम, प्रजा पर बड़ा बुरा पड़ता असर
अनेको मरे सैनिकों की संतानें-औरतें अनाथ हो जाते, दर-२ ठोकरें खाने को मजबूर।
इसका मतलब यह भी कि युद्धों ने देशों-लोगों का सदा हेतु इतिहास ही बदल दिया
अनेकानेक-भाग्य स्थायी परिवर्तित, अमीर गरीब में, पता न कौन किस समूह में गया।
जो जितना बड़ा लड़ाका उतनी ही बड़ी सज़ा मिली, दास बनाकर रखो, उभरने न पाए
अनेक कारक मनुज के सिर पर बलात बैठ जाते, कई स्थितियों में आगे बढ़ने से रोकते।
आरंभ में लेखन-उद्देश्य था समझने का, कहाँ तक व्यक्तिगत इतिहास समझना संभव
कभी विजेता, कभी धरापात, फिर उठने का साहस, कई बार आजतक रहें ही दमित।
अनेक समयों से गुज़र सब अत्याचार सहे, माँ-बहनों पर होते भी देखे कई अत्याचार
अज्ञात किसने आ अस्मिता ललकारी, सदा विजयी तो न अतः विनयी होना आवश्यक।
जग-इतिहास हमें अच्छे-बुरे समयों का स्मरण कराता, दुश्मन न ढूँढ़ पाओगे अब
कल के शत्रु आज मित्र हो सकते या विपरीत भी, अपना स्थायी-निवास पता ही न।
वंश-शुक्राणुओं के दौर से गुजरे, कोई न ठौर एक उत्तम मनोयोग रखना आवश्यक
धैर्य रखो समय-चक्र के भिन्न पड़ाव, स्वयं को स्थायी अबल न समझो, सबसे रखो प्रेम।
पवन कुमार,
३ जुलाई, २०२२ रविवार, समय २२:०२ रात्रि
(मेरी महेंद्रगढ़ डायरी १ सितंबर २०२० मंगलवार समय ६:३९ प्रातः से)
Ravi Kakar : सत्य वचन
ReplyDeleteRajesh Jindal : Lajawab post
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