अग्नि- शिखा सा है वह
प्रचेता, विदग्ध करे हृदय की दाह
सकल चिंतन से एकत्रण, इच्छित
अनुपम है ज्ञान-प्रवाह॥
काञ्चन-वर्ण, मुखारविंद,
कमलचक्षु, सुबाहु, उन्नत-भाल
नासिका शुक सी, कदम हरिणी
से, स्वस्थ तन-मन ढ़ाल।
उदर निम्न, सुदृढ़ तन, विकसित
वक्ष-स्थल, व लम्बी ग्रीवा
कोमलांग, कृष्ण-केश,
श्वेत-दंत, पूर्ण-युवा, गात्र-सजीवा॥
स्नेह निर्झर, मुस्कान- मधु,
ललित, धीर-वीर सा परिधान
देख उसे विश्वास जागता,
सक्षम जग का कुछ कल्याण।
सुशिक्षित, सत्य-परीक्षक,
सर्व-विधा कुशल, प्रखर-चिंतन
ज्ञानमूर्ति, मनस्वी,
क्षमासागर, कलानिधि तथापि विनम्र॥
एकाग्र-चित्त, तपस्वी त्राटक
लगाता, बन्धु हैं सभी चराचर
ध्रुव-तारक सा एक-दिशा स्थित
है, निश्चल परम धराधर।
अरसिक पर-निंदा,
सर्व-हितैषी, ज्ञानग्राही, व सस्नेह-उदार
स्वावलंबी, परंतप,
मूल-चिंतक, कुंडलिनी से साक्षात्कार॥
ब्रह्म-निवासी, हर्ष
मुख-मुद्रा, सर्वत्र-सर्वज्ञ पर समायोजक
समन्वयक सर्व-भूत,
चित्त-अक्लांत, मनु सम है संयोजक।
दूर-दृष्टि, संयत-कर्मी, रत
चित्त-वृद्धि, परमानुभूति में लक्ष्य
हरपल परंपरा है रचना-कर्म
में, जीवन शाश्वत हेतु संग्रह॥
कर्म-निष्ठ, विज्ञान-भिक्षु,
गौतम बुद्ध सम चिंतन क्षेम-संसार
समूह-उत्थान हेतु
युक्ति-कर्ता, न मात्र ही है प्रवचन आधार।
शीर्ष-शिखर का पथिक,
सत्य-परिवर्त, व सकारात्मक दिशा
निपुण विधा, विद्यार्थी सदा,
परम-चेष्टक व है अमल-शिखा॥
बलवान-ललित तन, निर्मल-मन,
मर्मज्ञ, योग उद्यमी बनाऐ
प्रयत्नशील, अध्येता,
नियोगी, दुर्लभ है पर सकल हेतु ध्याऐ।
विश्वरूप का आदर्श- कर्मठ
प्रतिबिंब, संगम है सब रंगों का
मुमुक्षु, अति मन-भावन वह,
तब हरेक चाही मधुर-संगों का॥
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