सोच - अग्रसर
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प्रातः चार बजे का समय है, आज जल्दी जाग गया हूँ। थोड़ी देर उनींदा रहने के पश्चात उठकर कुछ करने का निश्चय किया है क्योंकि मात्र लेटे रहने से कुछ विशेष प्रगति नहीं होने वाली है। जिंदगी नाम है ठोसता का, संजीदगी का, नियम का, वस्तुओं को अपने पूर्ण-प्रभाव में लाने का, और कार्यान्वयन में पारंगतता लाने का। नाम एवं ख्याति अगर मानव अपने चलते कमाता है तो किञ्चित यह उसके समय एवं ऊर्जा के उचित कार्यान्वयन को साधुवाद होगा। केवल बोलने मात्र को इति-श्री समझ लेना और यह कि सब कुछ उचित चल रहा है, स्वयं को बाह्य रूप से प्रसन्न कर लेना, छलावा देना मात्र है, जबकि सत्यता कुछ और ही होती है। जीवन में यदि आगे बढ़ना है तो अपनी सोच का दायरा बढ़ाना होगा। अगर सोचें कि हमें चाँद-सितारों को छूना है तो विश्व की समस्त शक्तियाँ आगे बढ़ाने में मदद करेंगी। निश्चय ही आरम्भ-कर्ता का भाग्य (beginner's luck) सबके संग है अर्थात जो कोशिश करता है उसकी प्रकृति, विश्व, भगवान सब मदद करते हैं। हमारे समस्त बंद द्वार खुलने लगते हैं जब संजीदा होकर आगे बढ़ने में स्वयं को लगाऐंगे। निश्चित ही कोई भी वस्तु इतनी आसानी से सुलभ नहीं हो जाती - उसके हेतु प्रयत्न तो करना ही पड़ता है। अपने को वचन दो कि हिम्मत कर जिंदगी को अग्रसर करेंगे और वास्तव में इसे मूर्तरूप करोगे। हमारे कार्य व जीवन का मूल्यांकन अभी भी कुछ लोग कर रहे होंगे और आगे भी करते रहेंगे। हम उस तुला में कैसे खरे उतरेंगे, यह तो आने वाला समय ही बताऐगा लेकिन अभी अपेक्षित है कि बिना बाधित हुए अपनी दिशा चलते जाइऐ और कभी भी स्वयं को दीन-हीन श्रेणी में पतित न होने दो। शुभ वचन-कर्मों का संग करिए, फिर एक नया सवेरा समीप होगा जिसमें सबको सम्मान के साथ जीने का अवसर प्राप्त होगा। अपना ही नहीं, अपने आसपास कार्य करने वालों का भी कल्याण करें। कोशिश करें कि अदने से अदने कर्मी को भी उचित पारिश्रमिक मिलें, उसको भी आपके संग कार्य करना अच्छा लगे और वह उचित निर्वाह कर पाऐ। अपने साथ ही अच्छाई की अपेक्षा न करें अपितु स्वयं आगे बढ़कर अन्यों संग सद्-व्यवहार एवं सम्मान से बात करें। कोशिश मनुष्य को बहुत आगे ले जाती है अतः सुनिश्चित करें कि कभी भी प्रयास कम न हो। अपनी वाणी पर संयम रखें और उसे सुमधुर बनाऐं क्योंकि यही हमें मित्र या शत्रु में परिवर्तित करती है। लेकिन आपके प्रेम से बोलने का अर्थ अन्य ऐसे ही हलके में न लें। आपकी गंभीरता, शीघ्र एवं उचित कार्य कराने की मंशा को समझने में लापरवाही न लें अतः सचेत रहें। अर्थ है कि सबसे अच्छा व्यवहार करे और उनसे भी ऐसी ही आशा करें। अपने को समय-2 पर जाँचे-परखे और सच्चाई पर कहाँ खड़े हो, इसका मूल्यांकन करें। आपकी गुणवत्ता सदा वर्धित हो, ऐसी आशा है।
धन्यवाद।
पवन कुमार,
12 मार्च, 2016 समय 14:37 अपराह्न
(मेरी डायरी 12 मई, 2006 समय 4:05 ब्रह्म-मुहूर्त)
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