कठिन मूल-भेदन
-------------------
सृष्टि-चलन एक महातंत्र, बहु कारक, सतत घटित, अनेक रहस्य विस्मयी
कौन जग को पूर्ण मनन में सक्षम, प्राणी क्षीण-चिंतक, विचार मात्र सतही।
विशाल सृष्टि, बहुल-विस्तृत अवयव, चिर-दूरी मध्य, स्पष्ट संदर्भ भी न दर्शित
सब अपनी जगह नन्हें जग में मशगूल, न स्वयं कष्ट चाहते, औरों में रूचि न।
एक जड़त्व सा प्रकृति में, शेल्फ्स पर पड़ी पुस्तकें अपने से न कहती पढ़ लो
काफी समय से सम-स्थिति में भित्ति पर लटका तार, न कहता ठीक कर दो।
कह सकते कुछ वस्तुऐं निर्जीव, कुछ सजीव, उनमें भेद किञ्चित दृष्टि-गोचर
जीवन-शास्त्र कृत अंतर सूचीबद्ध, प्राणी-जगत वनस्पति-जीव में है विभक्त।
वे फिर विभिन्न श्रेणियों में बाँटे गए, जब तक स्पेसिस तक न हो जाय चिन्हित
कुछ संबंध भी दर्शाया उनके मध्य, पर इतना बड़ा जग सर्व न संभव समझ।
सब वृक्ष निज-स्थल तिष्ठ, हवा संग झूम लेते, प्राकृतिक सर्दी-गर्मी सहन करते
स्पंदन सा तो है चाहे दर्शन असुलभ, पुराने पत्ते पीत होकर स्वतः पतित होते।
नवांकुर प्रवेशित, फूल-फल निर्माण, शनै प्रक्रिया, ध्यान दें तो कुछ ज्ञान संभव
अंतः गति-प्रक्रिया अति-जटिल, वैज्ञानिक लघु-रहस्य समझने में लगाते जीवन।
हर निज में महारहस्य, मूल-भेदन कठिन, विज्ञान निश्चितेव प्रखर-जाँचन ग्राही
यहाँ तक कि एक रेत-कण में भी पूरी कायनात है, कई तत्वों का बना वह भी।
कई भौतिक-रासायनिक क्रियाऐं उस या मातृ-घटकों पर, जिससे अद्य स्वरूप
कौन मृदा कहाँ दबी, ठोस बनी, जल-वायु प्लावित, घर्षण से पाषाण बना कण।
समक्ष काष्ट-फ्रेम की ग्लास जड़ित खिड़की, वर्तमान रूप में कहाँ इतना सरल
किस्म, मूल तत्व, थोथी-ठोस, कितनी सीजन, साफ या गाँठे, बाहर से रंजित।
इसके अंदर चिटकनी-हैंडल लगे, जोड़-कब्जें, एक घर्षणमयी गुण, कस लेते
कील-पेंच भी अति-उपयोगी पुर्जे, लसलसे संग विभिन्न भाग परस्पर जोड़ देते।
गिर्द भिन्न वस्तु-पदार्थ-तथ्य-स्थिति का अपूर्ण ज्ञान ही, जग तो और अति-विस्तृत
भीत-पलस्तर, रंग-रोगन, फर्श-टाईलें, कुर्सी, सूती-गर्म वस्त्र, रजाई सब समृद्ध।
देह-मन रचना, आंतरिक प्रक्रिया, कई छोटे-बड़े अंग, हर की पृथक बनावट-गुण
कर्रेंट, मोबाईल-कम्प्यूटर, चश्मा-कलम, भाण आदि, निकट-समझ अति-विरल।
फिर भी चलते है जितना बनता है, कोशिश करो,
अपनी कमजोरियाँ जानने के बाद ही ताकत आती है।
पवन कुमार,
०१ जुलाई, २०१८ रविवार, समय १८:१३ सायं
(मेरी महेंद्रगढ़ डायरी दि० २८ मार्च, २०१८ समय ९:४१ प्रातः से )
No comments:
Post a Comment