सुख-वर्षा
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जिन्दगी की मेरी इस कड़ी में, कुछ अनूठा मीठा हो जाए
सुनहले ख्वाब घड़े जाऐं, तथा हर सुबह खुशनुमा हो जाए।
त्याग दूँ जगत के सब दुःख-झंझट, हर पल तभी सुख-वर्षा
तन-मन भीग जाऐ पूरा ही, व सिञ्चित हो ख्वाबों का पौधा।
जीवन तो तब भरपूर ही खिलेगा, मात्र इसमें दूँ कुछ मंथन
कर्मठों सम त्वरित चलूँ, न सोया रहूँ कुंभकर्ण की मानिंद।
मेरे मन में कोई रसीली, एक छोटी-बड़ी सी खुशी हो जाए
एक सहज हृदय बालक सम, सकल नव-अर्जित हो जाए।
जब इतनी सब प्रेरणा हैं सर्वत्र, तो क्यों कोई भी तंग-दिली
कर अन्यों को पुलकित, पूरी खोल ही दे दिल की खिड़की।
ये सभी जगत-प्राणी तो अपने ही हैं, और कोई भी न बेगाना
यदि मन में प्रेमभाव है तो, दुनिया में नहीं कोई भी अनजाना।
दुनिया की सभी खुशियों में, हम भी पूर्ण-सम्मिलित हो जाऐं
करें बड़ी कल्लोल-अनुभूति, कोई घड़ी न हाथ से छूट जाए।
सावन का यह सुखदायी मास, और चहुँ ओर बहार ही बहार
सबके दिलों में एक सुकून है, और नहीं कोई त्राहि का शोर।
फिर क्यों न सब संग झूम-नाचूँ, और उन सबका बन जाऊँ
मन अति हर्षित विश्व-रचना में, कमों में न बोझिल बन जाऊँ।
फिर कालि मानिंद शिव-आराधना का कोई मनन कर डालूँ
शकुंतला के दुष्यन्त प्रेम सा, व मेघदूत सा अनुपम रच डालूँ।
माँ शारदा का स्नेह-आशीर्वाद, प्रतिपल साधक को चाहिए ही
यह कलम तभी अवरुद्ध चलेगी, जब शक्ति स्याही की रहेगी।
गुरु रविंद्र सा पूरा सरल-हृदय, यूँ उतार दूँ इस प्राण- पृष्ठ पर
लेकर सहारा लेखनी का, कुछ मनोरम कर डालूँ कागज पर।
जब लेखन में कुछ मधुरता होगी, बाहर क्रियान्वन भी हो जाए
जीवन में निष्पादन-शक्ति का, फिर विपुल अनुभव हो पाएगा।
इस जन्म से उस जन्म तक, सर्वस्व ही यूँ कर्त्तव्यमय हो जाए
कुछ विराट चिंतन-कर्म की लगन, हृदय में अंकित हो जाए।
पवन कुमार,
१० जून, २०२४ सोमवार, समय ९:०६ बजे प्रातः
( मेरी नई दिल्ली डायरी १९ अगस्त, २००७, रविवार से )
Adbhut,Amulya,Anivarchniy
ReplyDeleteIhave read this again and again and awestruck at the depth
ReplyDeleteJai Raghavendra Sharma : आपकी यह कविता स्वर के साथ गई जा सकती है। इसमें यह दो पंक्तियां और सुंदर हो सकती थी:- 1. 'सब दुनिया लगेगी अपनी प्रजा ' के स्थान पर"दुनिया में नहीं कोई अनजाना"
ReplyDelete2.पाएगा के स्थान पर" पाए"
यह कोई त्रुटि नहीं है
सिर्फ गायक की सुविधा के लिए है।
अनेक अनेक शुभकामनाएं
Ravi Kakar : अति सुंदर व कर्णप्रिय।
ReplyDeleteHari Har Shukla : अतिउत्तम रचना।
ReplyDeleteAnil Sharma : Very Nice
ReplyDeleteAnil Kumar Gupta : बहुत सुंदर जी
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