चलो कालिदास विषय में कुछ चिंतन, स्रोत कुछ पूर्वलिखित से ही संभव
उनका समकक्ष तो न कि देखा सुना हो, हाँ अध्ययन से कुछ ज्ञानार्जन।
मेरे द्वारा कालिदास परिचय जैसे किसी महानर का मूढ़ द्वारा व्याख्यान
या अंधों समक्ष गज खड़ा कर दिया, उनसे विवेचना हेतु किया हो उवाच।
उनके मस्तिष्क का अथाह ज्ञान व पूर्ण-व्यक्तित्व समझना ही अति दुधर्ष
माना वे भी पढ़-सुन ही विद्वान, पर कुछ अद्वितीय सर्जनात्मकों में एक।
कवि भी मनुज ही, ज्ञान बाहर से ही, पर समझने-परखने की शक्ति प्रखर
कथानकों-दृश्यों का अंग सा बना, व्याख्या कि माना पात्र बोल रहे स्वयं।
साधारण नर व्यवसाय-कार्यालय-गृह कार्यों में ही व्यस्त, मूढ़ सा है जीवन
क्रांतदर्शी प्राप्त काल का उचित निर्वाह जानता, अनुपम रचना है सतत।
सितंबर २०१८ में नागपुर यात्रा थी, ७० कि०मी० दूर रामटेक के भी दर्शन
कहते हैं प्रभु श्रीराम ने वनवास अंतराल कुछ काल यहाँ किया था आवास।
निकट अगस्त्य मुनि आश्रम भी, पुराणों अनुसार समुद्र पीकर किया रिक्त
निकट अगस्त्य मुनि आश्रम भी, पुराणों अनुसार समुद्र पीकर किया रिक्त
राम ने ऋषि-मुनियों के तप-भंगक दैत्यों से पृथ्वी रहित का लिया था प्रण।
यहीं कालि-स्थानक भी, मान्यता है रामटेक पर्वतिका पर ही मेघदूत रचना
कालि इसी रामगिरि से अलकापुरी तक का यात्रा-वृतांत मेघदूत में करता।
यहीं खड़े यक्ष को एक विपुल कृष्ण मेघशावक देख निज भार्या होती स्मरण
और उसे अपनी सजनी हेतु संदेश देता, कि तुम ऐसे करना व ऐसा कथन।
कवि-भाव अति मनोहारी, भिन्न भागों से विचरते सौंदर्य-दृश्य दर्शनार्थ प्रेरणा
विभिन्न स्थल-लघुकथाऐं काव्य-रोपित, पाठक अंग बने बिन न रह सकता।
यह निस्संदेह कि मेघदूत यक्ष स्वयं कालिदास, अलका प्रिय नगरी उज्जैयिनी
रामटेक पर कालि की अति भाव-विभोर हो विनती कि रो देगा मेघ स्वयं भी।
रामटेक पर कालिदास ने अश्रुओं को स्याही बनाया, नयन बनें मषिकूपी
प्रेम-वेदना से हृदय-विदारण गाथा रची, यहाँ की पर्वतिका जिसकी साक्षी।
स्मारक में भित्ति पर कालिदास के नाटकों के कई दृश्य अंकित किए गए
शंकुतला अपने हरिण संग व मेघ-दर्शन करते यक्ष सहज पहचाने जाते।
संस्कृत महाकवि-नाटककार ने पौराणिक कथा-दर्शन को आधार कृत
रचनाओं में भारतीय जीवन-दर्शन के भिन्न रूप व मूलतत्त्व निरूपित।
अभिज्ञान-शाकुंतलम उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध रचना, व मेघदूत सर्वश्रेष्ठ
प्रकृति के मानवीकरण का अद्भुत परिचय, खंडकाव्यों में है ओतप्रोत।
कालि वैदर्भी रीति कवि, अलंकार युक्त किंतु सरल-मधुर भाषा हेतु प्रसिद्ध
अद्वितीय प्रकृति वर्णन, विशेषरूप से निज उपमाओं के लिए हैं विख्यात।
अपने अनुपम साहित्य में औदार्य प्रति कालिदास का है विशेष प्रेम-अनुग्रह
श्रृंगार रस प्रधान साहित्य में भी निहित आदर्शवादी परंपरा व नैतिक मूल्य।
श्रृंगार रस प्रधान साहित्य में भी निहित आदर्शवादी परंपरा व नैतिक मूल्य।
उनके नाटक हैं अभिज्ञान शाकुंतलम, विक्रमोर्वशीय, मालविकाग्निमित्रम
दो महाकाव्य रघुवंशम व कुमारसंभव, दो खंडकाव्य मेघदूत-ऋतुसंहार।
दो महाकाव्य रघुवंशम व कुमारसंभव, दो खंडकाव्य मेघदूत-ऋतुसंहार।
कुमारसंभव में शिव-पार्वती की प्रेमकथा व कार्तिकेय जन्मकथा है वर्णित
गीतिकाव्य मेघदूत में मेघ से संदेश-विनती व प्रिया पास भेजने का वर्णन
ऋतु-संहार में ऋतुओं में प्रकृति के विभिन्न रूपों का है ललित निरूपण।
पवन कुमार,
९ फरवरी २०२० समय ११:५८ म० रा०
(मेरी डायरी दि० २४ जनवरी, २०२० समय ९:०६ प्रातः से )
No comments:
Post a Comment