आदरणीय वरिष्ठों एवं प्रिय मित्रों, यह बताते हुए मुझे हर्ष हो रहा है कि JAI3E, Noida के माध्यम से मेरी द्वितीय हिंदी अनुवाद पुस्तक 'कादंबरी - दो प्रेमी-युगलों की महान कथा' दिनांक ४ अगस्त, २०२१ को प्रकाशित हो गई है। यह अमेज़न, फ्लिपकार्ट व किंडल पर उपलब्ध है। यह महाकवि बाणभट्ट की महान प्राचीन संस्कृत कथा का अनुवाद कार्य है जिसे मैंने हिंदी में पुनः अंकन किया है। मुझे पूर्ण आशा है कि आप इसे स्वयं पढ़ेंगे और अन्यों को भी प्रोत्साहित करेंग़े।
पुस्तक निम्न लिंक्स पर उपलब्ध है :
https://www.amazon.in/dp/9391317103?ref=myi_title_dp
Flipcart:
https://www.flipkart.com/kadambari/p/itm3a84f85a3dc3b?pid=RBKG5KCCMNYHJGVV
Amazon Kindle:
https://www.amazon.in/dp/B09BTWRXDT
Dr. Niharika Vohra, VC : Congratulations Pawanji
ReplyDeleteAbhai Sinha, Ex DG, CPWD: Congratulations for outstanding achievement and best wishes for grand success.
ReplyDeleteVishal Srivastva, Kalantar Art Trust : Heartiest congratulations sir.
ReplyDeletePrince Avinash : Wishing you good luck sir 🙏🙏
ReplyDeleteNivi : बधाई संग शुभकामनाएं 😊
ReplyDeleteGarima Gracy : Congratulations and best wishes 💐💐
ReplyDeleteTannima Tewari : Congratulations 🎉
ReplyDeletePrabhat Ranjan : अच्छी किताब लग रही है
ReplyDeleteNeeraj Mahajan : Wah..kya baat👍
ReplyDeleteRaj Singh Naulakha: विशिष्ट और प्रशंसनीय एक और कदम.👏👏
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई एवं आगामी रचनाओं के लिए शुभकामनाएं 💐
AK Dutta : Congratulations
ReplyDeleteRaj Kumar, AE : बहुत बहुत बधाई सर🙏
ReplyDeleteMadhusudan Malhotra : Congratulation
ReplyDeleteSir👏👍🙏
Shailendra Rai : Many many congratulations brother.
ReplyDeleteAnand Sharma : बहुत बहुत बधाई I
ReplyDeleteBachan Lal Kalra : Congratulations Mr. Pawan Kumar
ReplyDeleteNilabh Gupta: Many many congratulations sir
ReplyDeleteNilabh Gupta : *हार्दिक बधाई सर*_💐💐
ReplyDeleteAjoy Kumar : Many many congratulations sir
ReplyDeleteK. K. Sharma : Congratulations 🙏🙏
ReplyDeleteDalet Singh : great achievement 👏👌many more to come
ReplyDeleteSafique Ahmed Khan : Congratulations Sir
ReplyDeleteRajbir Sharma : बहुत बहुत बधाई पवन भाई। मैंने किताब का आर्डर दे दिया है।
ReplyDeletePiyush Dave : बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteLP Srivastava:
ReplyDeleteDear Pawan
I didn't know what for you asked for my address
But having received the your book it was not only clear but overwhelmingly joyful.
Thanks a lot Pawan .
I feel proud of you for your creativity .
Be blessed always.
Love and bleasings.
LPS
हरिहर शुक्ला :
ReplyDeleteसर, नमस्कार। कादंबरी की प्रति प्राप्त हो गयी है। पढ़ना प्रारंम्भ कर दिया है। मैंने अपने शिक्षा काल में कादंबरी का अध्ययन किया था। स्म्रति जागृत हो रही है। महाकवि बाण भट्ट जी ने प्रेम गाथा की बहुत ही सुन्दर तरीके से अभुतपूर्ण कृति समाज को प्रदान की है। सर, आपने आम जन तक इसका अनुवाद करके सुलभ कराया है। यह एक बहुत ही प्रशंसनीय एवम् सराहनीय कार्य है। समाज इस कृतित्व के लिए आपका आभारी रहेगा। बहुत बहुत सादर आभार एवम् प्रणाम।
सतीश सक्सेना :
ReplyDelete13 दिसंबर से तीन माह के लिए जर्मनी रहूंगा सो यह महत्वपूर्ण पुस्तक शायद जल्द न पढ़ सकूं . आपके स्नेह के लिए हार्दिक धन्य बाद🙏😊
Dr. Ranbir Singh, IAS :
ReplyDeleteDear Pawan,
Thanks a lot for your kind visit and special Diwali greetings yesterday. We too wish you all a very happy, prosperous and special Diwali. Congratulations on the publication of your 2 masterpieces that you graciously gifted to us yesterday. May God bless you all.🙏🌷
Prabhakar Singh :
ReplyDeleteNamaskar Sir! I congratulate you once again for an outstanding literary work done. My address is : House No. EF6B, Tata Primanti Garden Estate, Sector 72, Gurugram 122101
Rajesh Banga :
ReplyDeleteGreat.
I really admire your interest and dedication in this field, despite being in our mechanical life .
It is rare to find a works engineer having such competence..
Best wishes.
Shall try to read this book next month.
Umesh Mishra :
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई ।
अति सुंदर प्रयास।
मनोज कुमार शर्मा :
ReplyDeleteप्रिय पवन, हार्दिक बधाई। अगला क्या प्रोग्राम है। आपका रुचि का क्षेत्र साझा करें कुछ समानताएं लगती है
🙏
मनोज कुमार पांडेय :
ReplyDeleteविश्व क्लासिक की गरिमा को अपनी पुस्तक के आवरण में भी उभारने में सफल आपकी सृजनात्मक को कोटिश: धन्यवाद 😊🙏
Alok Bhowmick :
ReplyDeleteHearty Congratulations!
Never knew this talent of yours.
Jasbir Sawhney:
ReplyDeletePawan ji Thank you for your book Kadambari , very impressive and lovely cover . Ideal to receive now when the hospital is finishing and will have all the time , warm regards ,Jasbir
Sudhir Kumar Chawla:
ReplyDeleteNice, wish you a all the best. Your use of Hindi words is of the standard of high class writers. Tough for me but a learning experience reading your first book. 🥂
RL Chopra:
ReplyDeleteThanks Pawan. We received the book. Kadambari is an interesting story. You have done an excellent job which is commendable. Usha Ji also is a wonderful person and her contribution in whatever form is praiseworthy.
Keep it up. Love to you all from both of us
ओमप्रकाश गढ़यान ः प्रिय श्री पवन कुमार जी, महान ग्रन्थ कादंबरी
ReplyDeleteके हिन्दी रूपान्तर के प्रशंसनीय महती कार्य के लिये बहुत-बहुत शुभकामनाएँ एवं 🙌🏽बधाई।
✍️
हिन्दी साहित्य प्रेमियों को आपने एक अनुपम भेंट पुस्तक के मूर्त रूप में प्रदान की है।
कादंबरी को जन सामान्य मध्य पहुँचाने का कार्य सरल व सुगम आपने कर दिया ।फलस्वरूप इसकी लोकप्रियता में वृद्धि होगी ।
✍️
कादंबरी के हिन्दी रूपांतरण कार्य संपादन पर आपके लिये , कुछ कहना चाहूँगा:-
✍️
व्यस्तता भरा होता है जीवन मुख्य ईंजीनियर का
और आप पर है कार्य भार मुख्य इंजीनियर का
फिर भी कादंबरी का हिन्दी रूपांतरण ,
*है प्रमाण हिंदी साहित्य में विशिष्ट योगदान का *
✍️🙏🏿
दीर्घायु हों और हिन्दी साहित्य में चिरकालिक आपका अनवरत योगदान के लिए विशेष शुभकामना।
सादर ,
ओम
( ओम प्रकाश गढ़यान)
गुरुग्राम
24-12-2021
🕉🙏🏿
Prince Avinash Mishra : आज जिस पुस्तक के बारे में मैं चर्चा करने जा रहा हूं वह मूलतः संस्कृत की एक महान रचना है, सातवीं सदी में श्री वाण भट्ट द्वारा रचित कादंबरी जिसे विश्व के पहले प्रेम उपन्यास का दर्जा हासिल है।
ReplyDeleteयह कालजई रचना संस्कृत में होने के कारण अनेक सुधि पाठकों से वंचित रही है।
वाण भट्ट जी की इस रचना को हिंदी में पाठकों तक पहुंचाने के लिए पवन कुमार जी साधुवाद के पात्र हैं। इस रचना के अनुवाद से पहले आपने महाकवि कालिदास जी की रचनाओं " मेघ संदेश" " कुमार संभवम" और " ऋतु संघराम" का हिंदी रूपांतर भी किया है।
कादंबरी का हिंदी अनुवाद क्यों आवश्यक था इसके लिए मैं दो पश्चिम के लेखकों का उदाहरण देना चाहूंगा। जेआरआर टोलकिन जिन्होंने लॉर्ड्स ऑफ द रिंग्स लिखा है और जॉर्ज आरआर मार्टिन जिन्होनें ए सॉन्ग ऑफ आइस एंड फायर, फायर एंड ब्लड जैसे लोकप्रिय साहित्यों की रचना की है।
आज का पाठक/दर्शक इन दोनों रचनाओं से बखूभी परिचित है, दोनों रचनाओं पर फिल्म और टेलीविजन सीरीज बन चुके हैं और दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय भी हैं।
जिस तरीके का कथानक टोलकिन ने बीसवीं सदी और मार्टिन ने इक्कीसवीं सदी में लिखा है, श्री बाण भट्ट ने उससे भी बेहतर कहानी सातवीं सदी में लिख दी है।
दुर्भाग्य ये रहा कि संस्कृत आम जनमानस की भाषा न रह सकी। हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी में शिक्षा नीति के कारण संस्कृनिष्ठ रचनाएं पाठकों से दूर होती गईं।
इसलिए यह रचना सभी सुधि पाठकों के लिए एक उपहार से कम नहीं है जिसके हिंदी अनुवाद के लिए पुनः मैं पवन कुमार जी का आभार प्रकट करता हूं।
यह कहानी एक तोते की कहानी से शुरू होती है, आश्चर्य का विषय ये है कि यह तोता मनुष्यों की बोली बोलता है।
उसकी कहानी पाठकों को हिमालय पर्वत पर स्थित हेमकूट नगर में एक गंधर्व राजा की बेटी कादंबरी और उसकी सहेली महाश्वेता की ज़िंदगी में पहुंचाती है। कादंबरी की तरह महाश्वेता भी एक गंधर्व की बेटी थी। महाश्वेता की मुलाकात एक दिन पुंडरीक नामक एक युवा संन्यासी से होती है और दोनों को प्रथम मुलाकात में ही एक दूसरे से प्रेम हो जाता है। अपने मित्र कपिंजल द्वारा सन्यासी धर्म की जिम्मेदारियों का पुन्हस्मरण कराने के बाद भी पुंडरीक महाश्वेता के प्रेम से उबर नहीं पाता।
प्रेम की अग्नि में जल रहा पुंडरीक एक दिन अनायास ही चन्द्र देव को मानव योनि में जन्म लेकर प्रेमविरह की अग्नि में जलने का शाप दे बैठता है और निर्दोष चन्द्र देव उसे भी शाप दे बैठते हैं कि उसकी भी असमय मृत्यु हो जाए और वह चन्द्र देव के साथ पुनः जन्म ले और मनुष्य योनि में जन्म लेकर उसी प्रकार के दुःख भोगे!
पुंडरीक की मृत्यु हो जाती है, महाश्वेता अपने प्राण लेने को उद्धत हो जाती है लेकिन चन्द्र देव उसे ऐसा करने से रोकते हैं और आश्वाशन देते हैं कि उसे पुंडरीक अच्छोद झील के किनारे मिल जाएगा।
महाश्वेता आहत होकर वापस नहीं लौटती और सन्यासिनी का जीवन जीने लगती है, उसकी सखी कादंबरी तक इस बात की सूचना पहुंचती है तो आहत कादंबरी भी यह प्रतिज्ञा ले बैठती है कि महाश्वेता और पुंडरीक के मिलन होने तक वो भी शादी नहीं करेगी।
पुंडरीक का मित्र कपिंजल भी अपने मित्र के वियोग से इधर उधर भटक रहा है और एक गंधर्व के रथ के नीचे आ जाता है, गंधर्व उसे बिना लगाम के घोड़े से तुलना करते हुए उसे घोड़े के जन्म में अवतरित होने का शाप दे बैठता है।
शापों की वजह से पुनः जन्म होते हैं, चन्द्र देव राजा तारापीड़ के पुत्र चंद्रपीड के रूप में, पुंडरीक राजा के मंत्री के पुत्र वैशंपायन के रूप में जन्म लेता है।
समय चक्र इन दोनों को वापस हेमकूट तक ले जाता है, दोनों की मुलाकात महाश्वेता और कादंबरी से भी होती है लेकिन इसके बाद भी इन प्रेमी युगल का मिलन नहीं हो पाता!
स्थिति कुछ ऐसी होती है कि यह प्रतीक्षा लंबी हो जाती है।
इसके आगे कथानक की परतें खोल कर मैं सुधि पाठकों का रोमांच नहीं खत्म करना चाहता।
लेकिन आगे बढ़ने पर ही आपको इस प्रश्न का उत्तर मिलेगा कि इस कहानी की शुरुआत में वह तोता कौन है जो मनुष्यों की बोली भी बोलता है और उसे इस पूरी कथा का ज्ञान भी है?
Prince Avisnash Mishra : इस कहानी में मनुष्य, देव, गंधर्व, किन्नर उन सभी प्रजातियों के बारे में विस्तार से लिखा गया है जिसे आज कल "माइथोलॉजी" कह कर हम हंसते हैं और पश्चिमी लेखकों की कल्पना से निकले समानांतर पात्र (Elves, magical dwarfs, hobbits, uruk, ork, wizards) पढ़ कर फूले नहीं समाते...
ReplyDeleteयह पुस्तक सभी पाठकों को एक बार जरूर पढ़नी चाहिए, साथ ही मैं इस पुस्तक को पढ़ने के लिए समकालीन लेखकों (खास तौर से सामाजिक कथाएं लिखने के नाम पर त्रिकोण प्रेम, अवैध प्रेम संबंध तक ही सीमित) को भी न्योता देता हूं, दावा है कि बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और कुंद पड़ी लेखनी में भी एक धार आएगी।
इस पुस्तक को JAI3E books and Publishing द्वारा प्रकाशित किया गया है। बेहतरीन पन्नों पर हार्ड बाऊंड में छपी 255 पन्नों की इस पुस्तक को आप Amazon से सिर्फ़ 275 रुपए में मंगा सकते हैं।
समीक्षा को पूरा पढ़ने के लिए आभार।