मुक्त विकास-द्वार
एक उत्कृष्ट अभिलाषा उन्नयन हेतु, श्रेष्ठतर मनानार्थ सतत चरण-वर्धन
जीवंत आकांक्षा परम-संभाव्य आत्मसात, स्व से ही स्पर्धा उच्च लक्ष्यार्थ।
एक दिव्य-अनुभूति, अपनी ही काष्टा-लाँघन, एक निम्न स्थिति से उद्धार
न्यूनता त्याग विपुल-उपलब्धि, दुर्जनता छोड़ सज्जनता का दामन थाम।
एक संपूर्णता की प्रबल चाह, मनुज का दुर्बल-निर्धन स्थिति से हो निजात
एक उत्तम शिक्षा, गगन-चुंबन प्रेरणा, सर्व विवेक प्रशस्त हो कल्याणार्थ।
सर्वत्र दीनता-कृपणता, दर्शित व्यर्थ गर्वाभिव्यक्ति सबका शोधन हो श्रेष्ठार्थ
वसुंधरा का वक्ष-स्थल विपुल साम्राज्य, समुचित उपयोग से न कोई अभाव।
नर की निकृष्ट-शैली ने उसे अन्त्यज रखा, वरन विकास-द्वार तो सदैव मुक्त
स्व पर नेक-निष्ठा, उत्तम गुण ग्राह्यता, त्रुटि स्वीकार, सुधार हेतु नित उद्यत।
श्रेष्ठ-दृष्टिकोण अनर्थक कलह में अरूचि, विषम-परिस्थिति में भी चित्त शांत
कुकाल-निवारण कला, स्व-संयोजन, ऊर्जा-समय का प्रयोग सकारात्मक।
एक विशाल आयोजन हो श्रेष्ठ विद्या का विश्वत्र, हर मनुज की पहुँच के अंदर
पर क्रय-शक्ति सदा वर्धित रहे, निर्वाहन में न कमी अपव्ययता से दूरी बस।
एक सतत विचार इस प्राण का वर्धन हो, कैसे दीन-मनुजता का हित संभव
कहाँ पर कितनी बहु सहायता है संभव, एक उत्तम उपयोग व न अपव्यय।
कभी भूल से विचलन भी है, स्व को अपराध-भाव से मुक्तिकरण का साहस
जीवन बालक द्वारा साईकिल चलाना सीखने जैसा, नित्य नव-प्रयोग भासित।
एक विपुल कल्याण-दृष्टि वृहद मानवता हेतु ही, स्व-त्राण भी हित में सर्वत्र
एक दृढ़ विश्वास मानव की सज्जनता में, दुराग्रहों का हो परिष्कार सतत।
माना इतर-तितर मन-कृपणता, कलुषता भी, तथापि प्रज्ञान-निवेश उत्तम
हर प्राण का अति महती मूल्य, विफल न होने देना, पूर्णता-लाभ ही लक्ष्य।
कई सुप्रेरकों से प्रतिदिन परिचय, इस लघु स्व को भी हो मनन दान उच्च
इच्छा मात्र इतनी है उत्तम सेवा भाव, दीनता से निकल उत्तम पक्ष दर्शन।
अनेक महापुरुषों का जीवन-वृत्त अति समृद्ध, शिक्षा-ग्रहण सदा उपलब्ध
विश्व-थाती का अल्प अंश स्वार्थ भी प्रयोग, महत्तम हस्तसंभव सके छूट।
पवन कुमार,
२९ अप्रैल, २०२३ शनिवार, समय ००:४५ बजे मध्य रात्रि
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