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Monday 15 July 2024

वृक्ष-वरदान

वृक्ष-वरदान

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निहारो तरुनित जीवंतता-अहसास वृद्धि करताप्रफुल्लित रहता 

अल्प लेकर भी बहुत उत्पाद करताजन्म से लेकर उपयोगी सदा। 

 

विटप अंतः में जीवन रखतासमय-परिस्थिति मिलने पर प्रफुल्लित 

मृदा-खनिज पोषणजल भूमि सेआकाश-वायु दुलारती है आकर। 

भू-माता की छाती-खूंटे से ही बँधा रहता इतराता बड़ा भी होकर 

मूल अति प्रगाढ़दुम-जीवन है निर्भरअतः स्तुत्य ही भरण-पोषण।  

 

प्रायतो आनंदमय ही वह रहताइस जगत के सदा आता है काम 

भोजन-औषधिस्वच्छ-वायुछायाभवन-लकड़ी या भी ज्लावनार्थ। 

पल्लव-पुष्पफल, छालविविध वर्ण, सुंदरता बहु रूपों में है दर्शित 

निर्मलस्वच्छअनिल के स्नेह-झोंकेंकरते हैं प्रत्येक को अतिमुग्ध।  

 

अनेक जीवन उनपर पनपतेगिरगिट-सर्प  अन्य  खग-गिलहरी

खग नीड़ बना लेते बड़ी सहजता सेआसपास से लेकर सामग्री। 

समस्त जीवन उनके निकट हैउनसे ही हो जाता भोजन उपलब्ध 

वहीं खेलतेलड़तेदुलारतेजन्मते और अंत में प्राण भी देते निज। 

 

अपने आप में एक पूर्ण जीवन-शास्त्रअनेक जीवनों को सहारा देते 

निज आहार बनाने में पूर्ण-स्वावलंबी हैंपरजीवियों हेतु तो अमृत।  

भूमि-क्षरण रोकेजल-संरक्षण करते हैंवसुंधरा को गतिमान रखते 

जीवन-शास्त्र के तो अभिन्न अंग हैंजीवन तो असंभव बिना इनके। 

 

स्वावलम्बीनित्य प्रेरक हैंप्रत्येक स्थिति में अपने को सहेज रखते

असंख्य कीट-पतंगे इनकी शरण मेंकटकर भी उपयोगी बने रहते।

अनंत रूप लेते हैं रचनाओं मेंसाजो-सामान व खिड़कियाँ-दरवाजें 

कहीं धरन-बीमस्तम्भछतें भीतो पूर्ण भवन भी बनते लकड़ी से। 

 

असंख्य रूप-विकसितसमुद्र-नदियों के जल से विस्तारित भूमि पर 

सुंदर-सजीव कलाकृतियाँ बनती मनोहरपादप-विज्ञान बहु समृद्ध। 

सूक्ष्म से ले बड़े रूपों में विकसित हैसुकृति हरित-वर्ण नेत्रों हेतु शुभ 

हमारा श्वसन-तंत्र स्वस्थ इनके सान्निध्य में हैंप्रदूषण को करते अल्प। 

 

ये साक्षात नीलकंठ- शिव स्वरूप, दूषित वायु-गरल पीकर अमृत देते

बहु प्रकृति-मार बड़ी सहजता से सह लेते हैंकदापि नहीं क्रोध करते।

काटनहारे को भी छायाफल-फूल देते हैंसर्वहित पुनीत जीवन लक्ष्य 

इनका हर अवयव उपयोगी हैजीवन-सहयोगीसबको सदा उपलब्ध। 

 

प्रकाश-संश्लेषण से कार्बन डाई-आक्साइड को ऑक्सीजन में बदलते

जल -लवण वसुधा से लेते हैंभोजन-फलपल्लव-पुष्पशाखा बनाते। 

प्रतिवर्ष एक परत ऊपर चढ़ा लेते हैंगिनें तो ज्ञात हो सकती अवस्था 

आजकल कार्बन डेटिंग विधि ईजाद हैवृक्ष-आयु का पता लग सकता।

 

गल-जल-सड़ खादगैस-तेल बनाते हैंजीवन-चक्र में सहायतारत नित

शुष्क-बंजर भू को सुंदर हरित बनातेइनकी बहुलता समृद्धि प्रतीक। 

किञ्चित अल्प लेकर ही अति महद देतेयह एक बड़ा है उत्पाद-केन्द्र

मानव बहुत कुछ इनसे सीख सकता हैबस खोलो चक्षु  बनो शिष्य।

 

समग्रता अपने ढंग से निर्मित की हैविभिन्न परिस्थितियों में भी सहज 

दूजों की प्रसन्नता में तो हमेशा मुदित हैंहर दुःख में वे रहते बड़ा संग।

शक्तिशाली इसकी शाखाऐं हैंएक दण्ड कर में हो तो बनता सहायक

बहु कलाकृतियाँकंदुक-खिलौनेगृह-उपयोग सामग्री हैं प्रतिपादित। 

 

प्रत्येक वृक्ष यहाँ धरा पर वरदान हैजीवनार्थ इनका संरक्षण आवश्यक

पादप-गण सदा सुरुचिर परिवेश देते हैंहमारा कर्त्तव्य इनका बचाव। 

दूरस्थ मेघों को आकर्षित करते हैंपावस-जल से कराते वसुधा-सिंचित

सदा शीतलता है इनकी छाँव मेंविश्रांत पाते अनेक थके-मांद पथिक। 

 

तुम सूक्ष्मता से निहारो कैसे जीवन है महकताशिक्षा लो उपयुक्तता की

बहु कष्टों में भी ये कैसे अविचलित रह सकते हैंसदा बनते समवृत्ति ही।

चराचरों के संग भी मुस्कुराते-हर्षातेकर्त्तव्य एक बृहद पावन-उद्देश्यार्थ

जीवन-अमूल्य है समझो-सीखो ध्यान सेजब नहीं रहता कितना अलाभ।

 

इन वृक्ष-मुनियों सम जीवन में धीर-गंभीर रहकरउचित हित में हो मनन 

तुम भी जीवन इन वृक्षों सा बना लोउपयोगी बन करो विश्व में सुनिर्वहन।

 


पवन कुमार, 

१५ जुलाई, २०२४ सोमवार, समय १०:५५ बजे रात्रि  

(मेरी महेंद्रगढ़ डायरी दि० अगस्त, २०१५, शुक्रवार, समय :५० बजे सुबह से


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