Kind Attention:

The postings in this blog are purely my personal views, and have nothing to do any commitment from Government, organization and other persons. The views in general respect all sections of society irrespective of class, race, religion, group, country or region, and are dedicated to pan-humanity. I sincerely apologize if any of my writing has hurt someone's sentiments even in the slightest way. Suggestions and comments are welcome.

Thursday, 19 June 2014

सक्रिय रात्रि

सक्रिय रात्रि 


आज फिर लेखनी उठाई, कुछ बतियाने के लिए

ऐसे ही उनींदे पलों में, अकसर करता हूँ जिनमें॥

 

गहन मध्य-रात्रि है, और सभी लोग निद्रा में मग्न

जगत सुसुप्त, मैं अवचेतन, निस्बद्धता है सर्वत्र।

पूर्णिमा के बाद का चाँद, अनुपम छटा है बिखेरे

जिससे धूमिल हुए सितारें, कहीं छुप से गए हैं॥

 

पर यह विभावरी भी तो, नितांत खामोश नहीं है

जो दिन में दर्शित-अनुभूत न, रात में सक्रिय हैं।

खगोल में, चंदा-तारें अप्रतिम सुंदरता बिखेरे हैं

बस देखने वाले और उनका संकल्प वाँछित है॥

 

रात्रि के जीव-जंतु, कीट-पक्षी पूर्णतया सक्रिय हैं

दीवार-घड़ी की टिक-टिक, स्पष्ट सुनाई देती है।

मस्तिष्क का निद्रा-प्रभाग, निज कार्य हेतु उतारू

पर मन कहता कुछ करूँ, व्यर्थ समय न गँवाऊँ॥

 

शायद अतएव कुछ पठन-मनन का प्रयास करता

यथासंभव बहु जान सकूँ, समुचित प्रयत्न हूँ करता।

किंतु जीवन-प्रतिबद्धताओं का अपना ही महत्त्व है

व निश्चय ही निज हेतु, समय-ऊर्जा माँग करती हैं॥

 

आजकल पढ़ रहा ख़लील ज़िब्रान, लियो टॉलस्टॉय

सर्वपल्ली राधाकृष्णन, रमन महर्षि, चार्ल्स डिकेन्स।

विज्ञान में है, कार्ल सागन का 'ब्रोकास माइंड' और

आईसक एसिमोव का 'न्यू गाइड टू साइंस' आदि॥

 

लेकिन विषय इतने महद, कि माँगते बहुत समय

किंतु जितना है मुझसे हस्त-संभव, करता हूँ यत्न।

विद्वान तो नहीं बन पाया, पर शायद राह में कदम

फिर ज्ञानार्जन ही, दुनिया का सबसे बड़ा है धर्म॥



पवन कुमार,
19 जून, 2014 समय 00: 09 म० रा० 
(मेरी डायरी दि० 13 मार्च, 1998 समय रा० 1:50 से ) 




  

No comments:

Post a Comment