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Sunday 3 July 2022

मानव इतिहास

मानव इतिहास  

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                       कटुता भुलाओकब तक सदियों के उत्पीड़न का हिसाब रखोगेउभरो संकुचन से   

जग में सब तरह की धाराऐं हर काल में रहतीदुश्मनी बदलती रहती दोस्ती में। 

 

शुक्रिया कि संघर्ष-ताप सहते हुए यहाँ तक  गएउज्ज्वल भविष्य प्रतीक्षा कर रहा  

गरीबी-अमीरी में एक सतत युद्ध चलता रहताचोट कमजोर को ही पड़ती ज्यादा। 

सत्ता हेतु अनेक युद्ध हुएलोगों की जमीनेंघर-बारकुटुंब-प्रजाराजपाट लुट गए सब 

अनेक नृशंष हत्याऐं हुईबच्चों तक को मार डाला गयाऔरतों को बना लिया बंधक। 

 

कुछ सहस्र वर्षों का मानव-इतिहास देखेंअनेक जुल्म धर्म-देश-जाति-नस्ल विभेद नाम पर 

कहीं पर शासक-लोभदूर-देशों के लुटेरों ने  तबाही कीकत्ले-आम कियाकी लूटपाट। 

 अपने विरोधियों को मार-काट गिरायाइतना जुल्म कि कई पीढ़ियाँ तक कर दी गई समाप्त 

कभी के राजा अब भीख माँगने को मजबूरऔरत-बच्चों से मजदूरों की तरह लिया काम।  

 

कुछ शख्सों को बाजू-ताकत पर विश्वास थातलवार लेकर जो भी समक्ष आया दिया काट 

एक- ज़ालिम इस धरा पर हुएजिंदगी की  कतई भी इज्जतबस ताकत पर अभिमान। 

एक अति-क्रूर मानस सा बना लियासारी दुनिया से घृणाउसने सबक़ सिखाया है  इसको

दुनिया के चप्पे- पर निज कब्ज़ा हो यही पक्का मंसूबाचाहे जो भी तरीका होअपना लो। 

 

दुनिया में निस्संदेह मारकाट का इतिहास रहादबंगों ने पूरी आबादी ही कर दी ख़त्म 

अपने जैसे वहाँ बैठा दिएमूल-निवासी खेदड़ या मार दिएया में लगा दिए सेवक-कर्म। 

दूर-प्रदेश के लोगों को ज़बरन पकड़ खेतों में बेगारी करवातेजानवरों सा करते व्यवहार 

कोड़े मार अधिकतम काम लोजंगल साफ़ करापत्थर ढुलवासड़कें बनवाखेती करवाओ। 

 

कुछ लोगों के दिमाग़ में अवश्य ही शैतान का कीड़ा रहतासदा दुनिया से शिकायत रहती 

अपने साथ चाहे बड़ी ज़बरदस्ती  होलेकिन प्रतिशोध की प्रबल अग्नि रग- में खोलती। 

बस मार डालोमिटा दोकल सब हमारा होगालोगों को तुम मौका ही  दो उबरने का 

कहते हैं कोल्हू के चक्के में बस घुसना चाहिएमोटा-पतला पिल सब एक जैसा हो जाएगा। 

 

जो कल बादशाह थे उनके वंशज आज कहाँपता भी  कहीं चाय की दुकान लगाए हों 

थोड़े दिनों में तो निज पहचान भूल जातेमर्द मार दिया जातेबच्चों को नौकर बना दो। 

जब अपने इतिहास का परिचय ही तो कैसे ज्ञात किस राजा या धनी की हो संतान 

नर-निर्मूल कर दिए जातेकोई शिक्षा-ज्ञान परंपरा या कुछ दस्तावेज़ ही उपलब्ध। 

 

विभिन्न दृष्टांत आततायियों केचंगेज़ खां ने कुछ २० वर्ष में ३० लाख लोग संहार किए  

ईरान के नादिरशाह ने २२ मार्च२२ मार्च१७३९ को हजारों दिल्ली नागरिक क़त्ल किए। 

तख़्ते-ताऊस यानि मयूर-सिंहासनमशहूर कोहिनूर हीरा  दरया--नूर को वह ले गया 

दिल्ली की लूट इतनी बड़ी थी कि नादिर में ईरान में तीन वर्षों तक कर ही हटा दिया। 

 

दिल्ली से  करोड़ रूपए वसूलेनिर्बल मुग़ल शासक मोहम्मद शाह ने खज़ाने की चाबी दी 

लंबे समय तक गलियाँ मुर्दों से पटी थीबागान-पथ गिरे पत्तों से ढ़केशहर राख़ में गया बदल। 

चांदनी-चौकदरीबाँ कलाफ़तेहपुरीफैज़ बाज़ारहौज़-काज़ीजौहरी बाज़ारलाहौरी-अजमेरी 

 काबूली दरवाजे जो हिंदु-मुस्लिम आबादियों से महफूज़ थेलाशों में परिवर्तित  

मुस्लिम-हिंदुओं ने समर्पण के बजाय औरत-बच्चों  खुद को मारना शुरू दिया कर।  

 

अगस्त १३९८ में तैमूर-लंग ने काबुल से अपना अभियान चालू कियदिसंबर में दिल्ली पहुँचा 

दिल्ली-मार्ग में कस्बें घेरे  लूटेअंतिम तुग़लक़ सुल्तान महमूद शाह दिल्ली छोड़ भाग गया। 

तैमूर ने लोगों को मारने-काटने  लूटने का आदेश दियाजो पंद्रह दिन तक लगातार चला 

लगभग एक लाख आदमी मारे गएसीरीपुरानी दिल्ली  जहाँपनाह को तबाह कर दिया। 

 

उसने जनवरी १३९९ में जाते हुए पथ में मेरठहरिद्वारकांगड़ा  जम्मू को बुरी तरह से लूटा 

कई सुंदर भवन-मंदिर नष्टहिंदुस्तान के अच्छे कारीगर समरकंद में निज भवन निर्माणार्थ ले गया।

बहुत सी दौलत लीफसलें नष्ट कर दीबीमारी फ़ैल गईहिंदु-मुसलमानों में शत्रुता वर्धित  

उसका इतना डर कि औरतें तैमूर नाम से बच्चों को डराने लगींबाल-विवाह गया बढ़। 

 

१७४१-५१ में मराठाओं की बंगाल-फ़तेह मध्यबिहार-बंगाल के लाखों लोग मारे गए 

१७५७-५८ में मराठाओं द्वारा अफ़गान-फतेह मेंहज़ारों अफ़गान-सिपाही मार दिए गए। 

१७६१ के पानीपत-युद्ध में अफ़गानों ने हजारों मराठा मरेअनेक औरत-बच्चे दास बनाए 

१७६१ में वड्डा घल्लूघारा पंजाब में अहमदशाह दुर्रानी द्वारा अनेक सिख क़त्ले-आम कर दिए। 

 

१९२१ में मालाबार केरल में खिलाफ़त-आंदोलन में हजारों लोग मरे लाख स्थायी भगा दिए  

आज़ादी बाद १९४८ के हैदराबाद-विलय दौरान नरसंहार हुआहजारों की संख्या में लोग मरे। 

 

२६१ ईसा पूर्व युद्ध में सम्राट अशोक के समय लाख कलिंग के  उतने ही मौर्य सैनिक मारे गए 

कलिंग वीरता से लड़े पर हार गएहज़ारों नर-नारी उड़ीसा से बाहर ले जा वन-सफाई में लगाए। 

युद्ध-हिंसा से अशोक अति-मामहर्त हुआहिंसा छोड़ अहिंसा अपनाईबुद्ध-शरण में  गया 

उपरांत उनका ४० वर्ष काल बड़ी शांति व् प्रजाहित में बीताऔर समृद्धि  भाईचारा बढ़ा। 

 

कहते हैं महाभारत के कौरव-पांडव युद्ध में कुरुक्षेत्र-भूमि रक्त से शोणित-वर्णी गई हो 

अनेकानेक सैनिक  राजा खत्म हो गएजो बाहर से भी लड़ने आए थेख़ाक गए हो। 

कौरव तो खैर सारे मारे ही गएपांडवों का भी बड़ा नुकसानद्रौपदी के मरे पाँचों पुत्र 

महावंश ज्ञानी-विद्वान सब हिंसा-उद्वेग-रोष की चपेट में , हानि का कोई हिसाब न। 

 

प्राचीन राम-रावण युद्ध दौरान अनेक लोग दोनों तरफ से मारे गएगाथा - कथन   

कितने परिवार स्थायी रूप  से उजड़ जाते हैंकोई सहारा देने वाला भी बचता न। 

अनेकानेक युद्ध भारत-भूमि पर ही हुए हैंअसुर-देव संग्रामों के अनेक बखान हैं 

कालिदास का कुमार-संभव असुर-नृप तारक की मृत्यु हेतु शिव-उमा के यहाँ 

कार्त्तिकेय के जन्म-पूर्व की कथा है। 

 

वर्तमान पूज्या दुर्गा चरित्र ने महिषासुर-वध कियानरसिंह ने किया हिरण्यक्षिपु-वध 

जिन्हें आज नायक-देव या भगवान मानतेइन्होने किन्हीं बड़े युद्धों में पाई विजय। 

पर युद्ध तो अति-विनाशकारी हैं अनेक दुष्परिणामप्रजा पर बड़ा बुरा पड़ता असर  

अनेको मरे सैनिकों की संतानें-औरतें अनाथ हो जातेदर- ठोकरें खाने को मजबूर। 

 

इसका मतलब यह भी कि युद्धों ने देशों-लोगों का सदा हेतु इतिहास ही बदल दिया 

अनेकानेक-भाग्य स्थायी परिवर्तितअमीर गरीब मेंपता  कौन किस समूह में गया। 

जो जितना बड़ा लड़ाका उतनी ही बड़ी सज़ा मिलीदास बनाकर रखोउभरने  पाए 

अनेक कारक मनुज के सिर पर बलात बैठ जातेकई स्थितियों में आगे बढ़ने से रोकते। 

 

आरंभ में लेखन-उद्देश्य था समझने काकहाँ तक व्यक्तिगत इतिहास समझना संभव   

कभी विजेताकभी धरापातफिर उठने का साहसकई बार आजतक रहें ही दमित।

अनेक समयों से गुज़र सब अत्याचार सहेमाँ-बहनों पर होते भी देखे कई अत्याचार 

अज्ञात किसने  अस्मिता ललकारीसदा विजयी तो  अतः विनयी होना आवश्यक। 

 

जग-इतिहास हमें अच्छे-बुरे समयों का स्मरण करातादुश्मन  ढूँढ़ पाओगे अब 

कल के शत्रु आज मित्र हो सकते या विपरीत भीअपना स्थायी-निवास पता ही न। 

वंश-शुक्राणुओं के दौर से गुजरेकोई  ठौर एक उत्तम मनोयोग रखना आवश्यक 

धैर्य रखो समय-चक्र के भिन्न पड़ावस्वयं को स्थायी अबल  समझोसबसे रखो प्रेम। 


पवन कुमार,

 जुलाई२०२२ रविवारसमय २२:०२ रात्रि 

(मेरी महेंद्रगढ़ डायरी  सितंबर २०२० मंगलवार समय :३९ प्रातः से)