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Wednesday 4 November 2020

जीवन-रथ

जीवन-रथ 

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बन कुछ व्यवस्थित-अनुशासित-केंद्रितबिखरी वस्तुऐं संग्रहित

मनुष्य जीवन लघुकर्म अत्यधिकप्रमाद हेतु समय ही नहीं।  

 

कैसे खंडित-छितरी ऊर्जाओं को वश में करेंकुछ क्षमता जोड़ें 

 जीवन बड़ी परियोजनाआधुनिक प्रबंधन आयाम स्थापित करें। 

एक- ईंट को दुरस्त करनाउचित जगह लगें ठीक प्रकार से 

गुणवत्ता जाँची - परखी होताकि जीवन भली प्रकार से जी लें। 

 

धारण - दायित्वभवन-निर्माण हुनरआयाम सीखने होंगे सभी 

जीवन चलें एक रथ भाँतिगति-चाल फिर बढ़ानी होगी उसकी। 

इसके अश्वारोही हो सुयोग्य-प्रशिक्षितरास्तों की बाधा से  डरें 

निर्भय मन स्वामी हो इसका सारथीएक नरोत्तम भाँति विचरे। 

 

साहसी को तो जग पथ देताऔर वह  कभी प्रमाद करता 

निकल पड़ता खोज-ख़बर मेंजगह- मार्ग-दर्शक बनाता। 

एक परम उद्देश्य से वह प्रेरितसदा सुकीर्ति हेतु श्रम करता 

समझता सब प्रतिबद्धता टालने का फिर उपालंभ करता। 

 

अपने कृत्य लिपिबद्ध करोऔर वाँछित सामग्री एकत्र करो 

ढूँढो समस्त उपकृत्य समाहितएक- पग सुनिश्चित करो। 

प्रशिक्षण में हो  कोई कमीबाद में परिणाम वाँछित ही हो 

स्व-उन्नतिकरण मार्ग प्रशस्त करने में कोई कमी  छोड़ो। 

 

अनुशासन प्रबलतम औजारवही अन्यों को भी करता प्रेरित

दल-सहकर्मी बनाओ योग्यसक्षम बन आऐंगे तुम्हारे हित। 

समय-ऊर्जा सब बाँटनी होगीनिज संग लाभान्वित अन्य भी 

मृदुल नृप के शहर में सब सुखीसुन्याय सभी में बाँटना ही। 

 

कलंदरों सम बन तू साहसीसमस्त मानवता को निजी  बना 

स्व-कर्मों पर हो एक नज़र पैनीउत्तर तुझे खुद को ही देना। 

 

 पवन कुमार,

 नवंबर२०२० समय :१० बजे प्रातः 

(मेरी महेंद्रगढ़ डायरी दि० ३१ अक्टूबर२०१४ समय :३५ प्रातः से)  

 

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