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Sunday 26 December 2021

सफल-आचरण

सफल-आचरण  

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वास्तविक जीवन-शिक्षाअपने से बेहतर जीवनों से सीख सकते

यह कदम- पर झझकोरताक्यों सुस्त हैं अधिक ना कर रहें। 

 

अपने चहुँ ओर हम इतना सब देखते हैंघटते हुए उचित अनुचित

कुछ ने आदतें सुधार करकई महान सफलताऐं कर ली अर्जित। 

बस वाणी से ही  काम चलताकुछ ठोस कर दिखाओ तो मानेंगे 

जग की बड़ी अपेक्षाऐंसामान्य पर्याप्त अत्युत्तम परिणाम मांगे। 

 

बड़े नतीजे महद श्रम माँगतेसंजीदा हो काम करें तो भी अपर्याप्त 

और भी कठिन जब वरिष्ठ पद में होसभी विषयों का भार निज पर। 

अब अवरों की भी निज समस्याऐं हैंअनेक काम समक्ष समय मांगते

फिर लंबन-प्रवृत्ति भीडांट-डपटमनुहार से ही कुछ परिणाम देते। 

 

सफलता क्या है कुछ द्वारा स्वीकृतिया स्वयं में संतोष परिणामों पर  

सभी में तो  श्लाघा का बड़ा मनप्रायः कुंठित - देने वाले होते तंज। 

हाँ अवर को कितना मानवैसा ही तो हमें भी मिलेगा फिर क्यों कष्ट 

कभी अड़ियलों से भी पालाझकझोर कर निकाल देते सारा अहम। 

 

सफलों की जीवनशैली कुछ निकट से देखोकैसे बिताते हैं प्रत्येक क्षण

यूँ ही निराश हो  बैठ जातेसब शक्ति लगा पार जाने का करते यत्न। 

दूजों को समझ  आता या चाहते ही कुछ विश्रुत कभी ध्यान भी देते

मान-सम्मान दैवाधीनकिसी को  पता लोग तुम्हें किस भाँति आकेंगे। 

 

लोक-मन में पूर्वाग्रह भी स्थितसंतुष्ट  चाहे कोई कितनी भी करें मेहनत

फूटे मन से श्लाघा-सुर  जैसे पेट में अंगार भरेआलोचना ही निकसित। 

या मात्र उस लायक ही  हैफिर भी यदा-कदा प्रोत्साहन तो लगता उचित

यदि हम एक सुस्तर पर भी हैंतथापि अवरों को ऊपर उठाना भी कर्तव्य। 

 

पर यहाँ दूसरों की श्लाघा-आलोचना से  अर्थप्रश्न है कि कैसे करें प्रगति

  सुअपेक्षा-मंजर हैउच्च तो उठोआलोचक मिथ्या सिद्धि ही बनाए विजयी।  

जीवनशैली एक उन्नतिपरक बनाओभागो मतबस डटकर करो मुकाबला 

सब पूर्वाग्रह विजयी करोअंतिम मूल्यांकन दूर वर्तमान मात्र से  घबराना। 

 

पवन कुमार,

२६ दिसंबर२०२१ रविवारसमय :२४ बजे सायं  

(मेरी डायरी २९ अप्रैल२०१८ रविवार समय :२३ प्रातः से)

 

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