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Sunday 8 October 2023

स्वप्न-द्रष्टा

स्वप्न - द्रष्टा

 
बहुत सर्दकोहरे की श्वेत चादर विस्तरितत्यों भी है जीवन स्पंदित 

जिज्ञासु निज कर्म कर रहेंकुछ सो रहेंकुछ में उत्तेजना उत्कंठ। 

 

जब यदि एक विराट लक्ष्य समक्ष होतो कहाँ नींद-चैन  विश्राम  

माना देह-मन को आराम आवश्यककिंतु है तो वह अल्पकाल। 

क्यों हम तंद्रा में बीतना चाहतेजबकि सत्य कुछ उत्तम हो सकता 

स्वप्न-द्रष्टा तो जरूर ही बनेंपर उन्हें कार्यरूप देने वाला भी कर्ता। 

 

माना हमारे जीवन का एक अहम भागसदा है रहता निद्रा-ग्रसित 

यदि वह एक प्राण-रूप ही हैजो प्रशांत हो आयाम दिखाए लुप्त। 

दिवस में जिन पहलूओं परहमारी नहीं होती है विशेष गहन नज़र 

रात्रि में मन अपना पूर्ण संगी है दृष्टि घुमाए दिशाओं में समस्त। 

 

माना हमें प्रायः स्मरण  रहताइसी मस्तिष्क ने स्वप्न में क्या किया 

फिर भी वह हमीं से जुड़े प्रश्नों काअदर्शित रह हल करता है ढूँढ़ा। 

उसकी गति प्रायः अति मंदएक पहलू से दूजे में सहज प्रवेश करती 

 पुनः जाता वह प्रथम आयाम परक्योंकि गति ऐसी ही है इसकी। 

 

सहज प्रवृत्ति है मस्तिष्क कीस्वप्न-अवस्थाओं में माना वह है मद्धम 

हमारी भूत-वर्तमान स्थिति अनुरूप हीमन कुछ कर लेता निर्मित। 

दिन में बहु प्रभाव उसपरप्रकाश-कार्यअन्य-अपेक्षाऐं  उपालंभ 

पर स्वप्न में बिलकुल स्वछंदमूल-संभावनाओं छूने हेतु स्व सकल। 

 

वे भी नितांत ही आवश्यकइस मन-काया को पुनः स्फूर्त हेतु करने 

वे हमें जीवित रखतेचेतना से संपर्क की दीर्घ परम्परा बनाए रखते। 

हमें खोलते नव-आयामों में भीऔर कई पहेलियों का हल समझाते 

अच्छे-बुरे से सब संपर्क कराते अवचेतन का पूरा परिचय कराते। 

 

वस्तुतः हम महान या क्षुद्र नहींस्वप्न-अवस्था सबको रखती सम है 

हम सत्य धरातल पर  जाते हैंनिज क्षीण पलों को सहज से लेते। 

 अवरोध कोई है उस सतत प्रवाह मेंअपनी भाँति कार्य करता मन 

पर नींद अवरोधितस्वप्न टूटासंपर्क छूटा  नवजीवन में आऐं हम। 

 

अनेक मनीषियों द्वारा स्वप्न पर कार्य हुआकई उनसे अर्थ निकालते 

कुछ स्व क्रियाऐं स्वप्नानुसार ही मोड़ते उनको बहुत महत्त्व देते। 

कुछों का तब व्यवसाय चल पड़ताभाग्य स्वप्न पर आधारित कराते 

सुप्तज्ञान-व्याख्या करतेऔर चेतन जगत में सुझाव-टोटके बताते। 

 

वस्तुतः हम हैं आरामपस्त नरजो बहु जीवन-भाग निद्रा में बिताते 

माना स्वप्न उसका कुछ ही अंशजो प्रायः अर्ध-चेतन दशा है होता। 

Sigmund Freud द्वारा 'Interpretation of Dreams' में है वैज्ञानिक-विश्लेषण 

कहते कि स्वप्न एक सत्य स्पष्ट करतेचाहे हम सकें या नहीं समझ। 

 

कुछ का सामूहिक स्वप्न-परिचय का यत्नयूँ ही ऊल-जुलूल बखान 

मानो वे सर्व मानव-मन के द्रष्टाजब स्व को  भी जानते अति न्यून। 

कैसे जानें अन्यों कोबस कुछ बाह्य तत्व अनुमानते आधार बनाकर 

यदि इच्छा कुछ बताने की भीपूर्व उसे पूरा समझो फिर करो तय। 

 

लेखन-प्रारंभ स्वप्न में  जाने का थाअपितु बनाना जागृत पक्ष सुदृढ़ 

सुझाता मात्र स्वप्न में  रहोअपितु कार्य हों कुछ सत्य धरातल पर। 

लोग जो सोच सकतेकर भी सकतेऔर वास्तविक परिवर्तन संभव 

मात्र अति-आवश्यक विश्रांत पश्चातअपनी स्पष्ट चेष्टाओं में लगे मन। 

 

कर्मठ लोग सब क्षण सचेत रहतेकिन्ही भी व्यवधानों से  घबराते 

ज्ञान-पक्ष सदा मजबूत हैं करतेहर क्षण का पूर्ण आनंद ही उठाते। 

खड़े करते सुदृढ़ आधार  संस्थाऐंजिनमें शामिल हो जाते अन्य भी 

सामूहिक गतिविधियाँ-वर्धन संभवतब जग-कार्यों की क्षमता बढ़ती। 

 

 

पवन कुमार,

८ अक्टूबर, २०२३ रविवार, ९:२९ प्रातः  

मेरी डायरी १४ दिसंबर२०१४ रविवारसमय :१८ बजे प्रातः)

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