Kind Attention:

The postings in this blog are purely my personal views, and have nothing to do any commitment from Government, organization and other persons. The views in general respect all sections of society irrespective of class, race, religion, group, country or region, and are dedicated to pan-humanity. I sincerely apologize if any of my writing has hurt someone's sentiments even in the slightest way. Suggestions and comments are welcome.

Sunday 1 April 2018

गहराई

गहराई 
-----------

'गहराई' शब्द अभी मेरे जेहन में आया है और मैं सोच रहा हूँ कि इसे कैसे परिभाषित करूँ, कैसे इसे अपने साथ जोड़ूँ, और कैसे इससे अनुभूत होऊँ। 'गहराई' क्या है - यह मात्र अनदेखी भ्रान्ति तो नहीं है जिसकी दूर से ही कुछ कल्पना करके हम अपना कुछ अस्पष्ट सा निष्कर्ष निकाल लेते हैं या यह हमें उस स्थिति तक पहुँचने हेतु मजबूर या प्रेरित करती है और रहस्यों की एक परत खोलने में सहायता करती है। किसी भी शब्द का अपना एक वजूद है, हम उसे समझे अथवा नहीं यह अलग बात है। शायद हमें यह भी स्वतंत्रता है कि उस शब्द की अपने ढंग से परिभाषित करें या उसका प्रयोग अपनी सुविधा अथवा अपने तरीके से कहने के लिए करें। 'गहराई' वैसे तो परिमाणसूचक शब्द है लेकिन अभी मैं उसका एक शब्द मानकर ही उपयोग करना चाहता हूँ। 

मेरे लिए शायद 'गहराई' नाम की कोई वस्तु या तथ्य नहीं है और मैं त्रि-आयामी की जगह मात्र द्वि-आयामी धरातल पर ही रह रहा हूँ। यह शायद मेरा नेत्र-दोष है कि मैं तथ्यों की गहराई में जा ही नहीं पाता या कोशिश भी नहीं करता। शायद आँखों पर काला चश्मा लगाए बैठा हूँ जिसमे से रंगों की सुंदरता स्वतः मद्धम हो जाती है क्योंकि यह अति सहज स्थिति है जिसमे परिश्रम करने की कोई आवश्यकता नहीं है। बस जैसा है, जो सहज है, उसे देखते जाओ और जो थोड़ा बहुत समझ में आता है उसमे संतुष्ट हो जाओ। बड़ी सुविधा है विचार की आवश्यकता ही नहीं। बस जिए जाओ, ढ़ोए जाओ और बगैर कष्ट के संतुष्ट हो जाओ। 

परन्तु वाँछित स्थिति क्या है ? कैसे कोई बगैर ठीक से देखे उचित अनुमान या निर्णय ले सकता है? अगर ऐसा करते हो तो मूर्ख हो अथवा आत्म-तुष्टि, जो झूठी है, का भ्रम लगाए बैठे हो। फिर तुम्हारा क्या अस्तित्व या स्थिति है - ठीक या गलत? प्रश्न कठिन है लेकिन मनीषी कहते हैं कि कुछ पाने हेतु प्रयास करना पड़ता है, मोती उन्हें ही मिलते हैं जो गहराई में डुबकी लगाते हैं। अतः अतिरिक्त प्रयास की आवश्यकता है। केवल सतही धरातल पर रहने से कुछ नहीं मिलने वाला - दुनिया में विकास तभी हुआ है जब लोगों ने मेहनत की है, अपने को गलाया है और सुविधा छोड़ी है। तभी विकास संभव है जब उचित परिपेक्ष्य में देखना शुरू कर दे, उसके लिए चाहे सूक्ष्मदर्शी, दूरदर्शी अथवा अन्य किसी उपकरण की सहायता क्यों न लेनी पड़े। बहुत मेहनत करनी पड़ेगी अगर अपना अथवा समाज या किसी भी आयाम को ठीक करना चाहते हो। गहराई तक ठीक जानने का रास्ता ढूँढना पड़ेगा और ठीक निर्णय लेने हेतु उसका प्रयोग करना पड़ेगा। 

पवन कुमार 
१ अप्रैल, २०१८ समय १८:०७ सायं 
(मेरी डायरी २६ मार्च, २००५ समय १०:२५ रात्रि से)   

1 comment:

  1. B S Deep Arya : 'सूक्ष्मता' से किसी विषय या वस्तु का 'गहन' विश्लेषण ही 'गहराई' को परिभाषित करता है ...सुंदर मंथन...!

    ReplyDelete