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Sunday 4 October 2020

नवीनीकरण मनन

नवीनीकरण मनन 

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समय क्या है मात्र घड़ी में देखनाया प्रतिदिन स्वयं को करना पुनरावृत्त 

ऋतुऐं बदलती पुनः  जातीसूर्य-चंद्र चक्र की आज सी ही वेला प्रस्तुत।  

 

अर्थ कि कल का भी यही :२६ प्रातः समय गया ठीक २४ घंटे बाद 

पर जो बीत गया वो तो कल किसी और मनोदशा में था आज और। 

घड़ी का समय तो हर दिन आतापर जो बीता वह वापस  सकता  

हाँ अभी यहाँ पृथ्वी विचरितयदि कोई अन्य दूरस्थ ग्रह से देखना चाहे

प्रकाश को दूरी के अनुपात में समय लगेगाउसकी है निश्चित गति एक। 

 

पर जो बीता उसका क्या नवीनीकरण उपायअधिक पर्याय तो गोचर 

हाँ हम फोटो-वीडियो लेतेजब देखते तो पुराना समय हो जाता स्मरण। 

यदा कदा समक्ष घटित हो रहाअपनी डायरी-वाक्यों में अंकित कर लेते 

पर यह पूर्ण का अत्यल्प भाग,  देह में अधिक पूर्ववर्ती आयु  भर सकते। 

 

उपाय क्या समय करबद्ध करने हेतुपर जो बीत गया कहाँ है अपने बस 

विज्ञान भाषा में तो १५ अरब वर्ष पूर्व महाधमाके संग हुआ ब्रह्मांड जन्म। 

तभी से समय-अंतराल प्रस्तुतहाँ धारणाऐं माने तो ब्रह्मांड-आकार वर्धित

दूरियाँ वर्द्धितकहाँ अंत होगा या सिकुड़नसुलझनी हैं गुत्थियाँ अनेक। 

 

हमारा इतिहास ज्ञान अप्राचीनपुरा घटनाओं का बस अनुमान सकते लगा 

पर हमने धारणाओं में अति-लघु नर-उदंत अति-प्राचीन युगों में बाँट दिया। 

 गणना से कालक्रम दियाभारत में सतयुग-त्रेता-द्वापर  कलियुग अवधारित 

वैज्ञानिक तो बस युग-पुराण द्रष्टा ने कुछ ज्ञात को बड़े अंशों में विभाजित। 

 

 नववर्ष मनाना सुभीताकुछ महानरों की अमुक समय-घटना भी आधार मानते 

उस समय-अवधि को काल मान लेतेजैसे भारत की आज़ादी को ७१ वर्ष गए। 

पर समय तो पूर्व भी थायदि पृथ्वी की वर्ष अवधि मानें तो हो गए १५ अरब वर्ष 

अब सबके अपने वर्षहमारी वर्ष कल्पना तो टिकी सूर्य के एक परिभ्रमण पर। 

 

यदि हम बुध ग्रह (८८ दिनपर होंयही १५ खरब हो जाऐंगे लगभग ६२ अरब 

और यदि प्लूटो (२४८ वर्षपर हों तो ब्रह्मांड उम्र रह जाएगी .०४ करोड़ वर्ष। 

फिर हमारी गणना मात्र सूर्य को आधार मानकरब्रह्मांड में अनेकानेक तारे पर 

दूर ग्रहों में तो दिन-रात दर्शन पूर्ण-अंधेरे में सूर्य दिखेगा क्षुद्र नक्षत्र सा एक। 

 

आज हमें थोड़ा बहुत ज्ञान है कि अन्य अधिकांश ग्रहों-उपग्रहों पर नहीं है प्राण 

और यदि प्लूटो पर रहना पड़ेतो यही :१४ बजे आएगा . पृथ्वी दिवस बाद। 

वृहस्पति मात्र १० घंटे में स्व गिर्द एक चक्र लेतावहाँ यही २४ घंटे जाते  १० बन

वरुण (नेप्चयूनपृथ्वी के १६ घंटे लेतादिवस-वर्ष अवधि सबके लिए हैं अलग। 

 

हम धरा-वासी इसे ही आधार मानतेसर्व ज्ञान-चक्र अवधारणाऐं इसके हैं गिर्द 

अभी कुछ सौ वर्षों में वैज्ञानिक-दार्शनिक ज्ञान एकत्रितअनेक अभी भी अविज्ञ।  

हमारी कल्पना में हैं अनेक देव अवतरितवे मानव से ही थे बस देव मान लिया 

उनके वरिष्ठ को ईश माना और कि समस्त सृष्टि-चक्र उसके आदेश से चलता। 

 

हम प्रतिक्षण बदलतेवय-मन का नव प्रारूपकई प्रभाव हैं कर्मशील सतत 

एक अपरिवर्तनीय सा समय बीतताहाँ नए समय में नव भाव होते उत्पन्न। 

उवाचे शब्दों का भी एक अपना प्रभावसुनते हैं तो वे प्रभाव छोड़ते अपना 

चाहे हमें बाहर से तो अधिक  भी दृष्टिमान होजाता है अंतः सर्वस्व हिला। 

 

क्या हम गहन हैं विचार सकतेसमय-अंतराल के रहस्य  निकट से हेतु  वेत्ति 

कुछ पूर्व नासा की faster than light Warp Travel सिद्धांत पर वीडियो देखी। 

Alcubirre Drive से Space-Time को distort करतेस्पेस को मोड़ते चहुँ ओर 

Alpha-Centuri जाने में १५ दिन लगेंगेआइंस्टीन का सापेक्षता-सिद्धांत आधार। 

 

भौतिकी में Space-Time is any mathematical model that fuses three dimensions 

of Space and one dimension of Time into a single four-dimensional continuum.

1905 की आइंस्टीन की सापेक्षता-सिद्धांत के अनुसार प्रकाश की निश्चित गति है स्पेस में 

प्रकाश स्रोत की गति से स्वतंत्रघटनाओं -जोड़ों में दूरी-समय भिन्न बिंदुओं पर बदलते। 

 

कभी समय को अपनी भाषा देने वाले भीकाल-गर्त में समाकर हो गए  विलीन

कितनी ही सभ्यताऐं लुप्तअनेक वनस्पति-जीवों की प्रजातियाँ हो रही विलुप्त। 

कारण कुछ हो कालगति एक दिशा मेंजुरासिक-डायनासोर कहीं  हैं चिन्हित 

कुछ कथाऐं चर्चे हैंमाँ-बाप चले गएकहाँ हमारी या अपनी मर्जी से आते पुनः। 

 

यह क्या हैं जग की गतिविधियाँलोक-संस्कृति  कुछ ग्रंथों में व्याख्यित 

किनने बड़ी धारणाऐं मानव-प्रतिपादितलोग मान भी लेते आँख मूँदकर। 

पर सत्य वही मानना चाहिए जो परीक्षण-प्रयोग के परिणाम पर उतरे सही

मात्र मनन ही  पर्याप्तविज्ञान में प्रत्यक्ष भौतिक-बदलाव ही प्रौद्योगिकी।  

 

अधिक तो  उच्चतर शिक्षाबस स्वयमेव या जैसे भी शिक्षक मिलेंसीख लिया 

 विद्या-पारंगत  तो  मैंअति-अनुशासित होकर तो विषयों का चिंतन  किया। 

विद्वता-पथ कठिननिरंतर ध्यान-केंद्रित अध्ययन से ही संकल्पनाओं में प्रवेश

अनेक तथ्य तो हैं अपरिचितफिर एक पूर्ण जीवंत जीवन हेतु कितना अपेक्षित। 

 

जीवन कैसे बढ़ा सकतेएक पक्ष कि उपलब्ध समय पूर्ण उपयोग जाए किया 

अर्थ  यदि हम प्रतिदिन १८ घंटे काम करेंवह १२ घंटे वाले  से अधिक होगा। 

एक वैज्ञानिक अवधारणा थोड़ा पूर्व पढ़ीपृथ्वी पर रहें  गतिमान रहें त्वरित

कहते हैं पर्वत तल पर रहने वालाशिखर पर निवास वाले से जिऐगा अधिक। 

 

और कि यदि हम स्पेस में हैं तोवय में धरती की अपेक्षा धीमी गति से बढ़ेंगे 

यदि गगनयान प्रकाश-गति से चलता है माना यात्री २० वर्ष रहता उसमें। 

निश्चितेव २० वर्ष में महद दूरी लाँघ लेगापर उसके धरा-बंधु की अल्प ही गति

यावत भू-बंधु वय अति वर्धितसाहित्य में यह  वर्ष की अपेक्षा ३८ वर्ष कही। 

 

किंचित महा-संपर्कों का अनुभवजग को खुली नज़रों से देखना-समझना 

पर ये सब तर्क-वितर्कउतने ही समय में एक ने अधिक अनुभव ले लिए। 

उपलब्ध जिंदगी में अत्यधिक घूम सकते होनिज को समृद्ध कर सकते हो 

सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट में ३५-४० वर्ष की वय में ही इतना कमा लिया 

अधिकांश हम कई जन्मों में भी उतना निपुणतायश-धन  कमा सकते। 

 

प्राण-समृद्धि कुछ महा-संपर्कों की चेतनाखुली नज़रों से विश्व देखना-समझना 

इसके पूर्ण-आत्मसात का उत्साहजब जितना अधिक बन जाए झिझकना। 

उपलब्ध समय हो पूर्ण प्रयोगउत्साह से नव-सृजन हो नवीन वर्तमान पलों में 

वास्तव में सर्वस्व ही नवीनमन में कैसे अनुभव कर रहेतुम्हारा व्यक्तित्व है। 

 

यह मनन भी यथार्थ अनुभव का महायंत्र हैप्रयोग कर कुछ विद्वान हो जाओ 

कार्ल-सागनऐसीमोवस्टीफन हाकिंग से महानरों से कुछ लाभ लेना सीखो। 

  

पवन कुमार,

०४ अक्टूबर२०२० रविवासरसमय :३५ बजे प्रातः 

(मेरी डायरी दि  २५ मार्च२०१८ रविवार १०:५८ प्रातः से )

 

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