Kind Attention:

The postings in this blog are purely my personal views, and have nothing to do any commitment from Government, organization and other persons. The views in general respect all sections of society irrespective of class, race, religion, group, country or region, and are dedicated to pan-humanity. I sincerely apologize if any of my writing has hurt someone's sentiments even in the slightest way. Suggestions and comments are welcome.

Monday 23 March 2015

सुबह की बारिश

सुबह की बारिश 
---------------------



भोर की वर्षा, घोर मेघ गर्जन, बाहर हरीतिमा का प्रसार है 
वसुंधरा की कुछ प्यास बुझी, चिर-प्रतीक्षित रिमझिम से। 

वस्तुतः अत्यल्प वृष्टि इस वर्ष, भारत देश  के बढ़ा रही कष्ट  
अतः जाते मानसून में वर्षा दर्शन, अहसास देता अति सुखद। 
सब धन-धान्य इसी पर निर्भर, सर्व कृषक-श्रमिक जोहते बाँट 
पेय जल की कमी गंभीर समस्या है, वर्षा है उसका निदान। 

इस पोषक जल के धरा-आगमन से, तरु-पादप सब हर्षित हैं  
धुल जाता सब मैल पल्लवों का, देखो आनन्द से लहलहा रहें। 
समस्त कृषि विशेषकर धान-फसल हेतु, यह जल तो है वरदान 
नलकूपों से भूजल निकालना महँगा, अतः करो वर्षा-आव्हान। 

नदी-नाले-सरोवर सब आह्लादित होते, जैसे भरते उनमें प्राण 
सिंचित करें पूर्ण धरा-क्षेत्र को, परिवहन जल-राशि  विशाल। 
तरु-पादप जैसे खिल उठते, उनकी वृद्धि हमें प्राण-वायु देती 
धूल-दूषण वातावरण का अल्पित, अनिल स्वच्छ-निर्मल होती। 

देखो वसुधा के शुष्क वक्ष-स्थल पर, यूँ प्रतीक्षित तृण-वनस्पति 
हर नीर-बूंद उन हेतु अमृत, तब वे सुन्दर छटा विस्तृत करती।  
समस्त जीवन वारि पर ही निर्भर, न्यूनता उसकी कितनी विद्रूप  
नगरों में मारा-मारी जल की, ग्राम-जीवन और कठिन स्वरूप। 

सिञ्चन इस पावस अम्बु से, सब कुछ हैं निःशुल्क प्रोत्साहित   
यह प्रकृति का अमूल्य उपहार, सब इससे ही हैं प्रतिपादित। 
वारि का हम सम्मान करें, उसकी उपलब्धि है जीवन-संचार
पावस निश्चय ही विपुल माध्यम है, जल-चक्र करता उपकार।


 पवन कुमार,
23 मार्च, 2014 समय रात्रि 22:31
( मेरी डायरी दि० 30 अगस्त, 2014 समय 8:15 प्रातः से ) 

No comments:

Post a Comment