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Sunday 12 June 2016

संचार-रूप

संचार-रूप  
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बहुत जनों ने संस्थान हैं बनाए, जगत को करने अपना सर्वस्व दान

सदा संग्रह करते हैं प्रत्येक अनुपम को, उपलब्धि हेतु एक स्थान॥

 

हमने मान लिया तथाकथित क्षुद्र मानव, मात्र स्वार्थी न है वरन क्या

गूगल पर एक क्लिक से ही, लाखों परिणाम क्षण में थे सकते आ?

अनेक सदा रखते जाते, विभिन्न वेबसाइट्स पर सर्व-अवलोकनार्थ

अनेक नूतन विचार-दृश्य-लेख-फ़िल्म- समाचार सर्वदा उपलब्ध॥

 

कौन ये नर जो सदा निरत रहते, बाँटने हेतु निज सर्व मनन-विज्ञान

पूर्व एक-दो किताबें घरों में होती थी, अब खुला पूर्ण ब्रह्मांड-वृतांत।

ज्ञान या तो कुछ मस्तिष्कों में सीमित, या कुछ पुस्तकों में था व्यक्त

पर कैसे हो संपर्क-आत्मसात, आम जन की थी एक दुविधा महद॥

 

अब विश्व-वृतांत उपलब्ध नेट पर, पहले अत्यल्प में ही क्रय-सामर्थ्य

अनेक महाजन-जीवनवृत्त, विचार, यूँ सस्ते में न थे कदापि उपलब्ध।

हाँ खोजी-अन्वेषक तो उस समय में भी चेष्टा से, कुछ लेते थे ही ढूँढ़

पर इतनी सुलभ ज्ञान-लब्धता तो, कभी किसी ने कल्पना की थी न॥

 

अब नर रत निज-पांडित्य बाँटने में, होड़ लगी हेतु अधिकतम पाठक

इसमें कुछ विशेष लोभ नहीं उनका, बस अच्छा लगा व किया प्रस्तुत।

अब पाठक भी क्या करें, पढ़ें या छोड़ें, सोशल-मीडिया है बहु-विस्तृत

यथा ट्विट्टर, ब्लॉगर, फेसबुक, व्हाट्सअप आदि ध्यान खींचे हैं बहुत॥

 

अनेक अज्ञात ई-मेल, कहाँ-२ से पता ढूँढ़ कुछ अद्भुत करते प्रेषित

तुम ध्यान दो या मत देखो, ध्यानाकर्षण हेतु आते ही हैं रहते सतत।

प्रजा ने तो फेसबुक पर लाइक हेतु साइट्स खोली, पोस्टस उपलब्ध

लाभ तो ज्ञान मुफ्त-उपलब्ध, पर प्रश्न कितना हो पाते हैं लाभान्वित॥

 

अनेक भाँति के प्रभाव हो रहें मन पर, समस्त-जग है कारक हम पर

टीवी-रेडियो, समाचार-पत्र, टेलीफोन, संदेश-पत्रिका, मेल व पुस्तक।

गत के सौ वर्ष पूर्व रेडियो-टीवी आने के बाद हुई संचार-क्रांति आरंभ

पर २५-३० वर्ष पूर्व इंटरनेट पश्चात तो ज्ञान-प्रसार दिशा गई है बदल॥

 

सब दूरी खत्म, संचार अति सस्ता, एक गरीब भी लाभ है उठा सकता

इंटरनेट संग मोबाइल फोन हस्त-उपलब्ध, ब्रह्मांड साथ लिए घूमता।

ऑनलाइन फॉर्म- परीक्षा से, अनेक भौतिक कष्टों से मिला है निवारण

बैंकिंग-प्रणाली अति सहज-सुलभ हुई, प्रजा को मात्र लाभ ही लाभ॥

 

स्थान- दूरी समाप्त, समय की बचत व संचार कुछ क्षणों में ही सम्भव

अब हर संस्थान, विश्व-विद्यालय, व्यक्ति-चरित्र की जानकारी उपलब्ध।

जहाँ चाहो वहाँ अवसर ले सकते, व उनकी न्यूनतम अपेक्षाऐं भी ज्ञात

बहु सफल-सुयोग्य बनने के अवसर, बस बनो स्फूर्त व करो कोशिश॥

 

आवागमन-मुश्किलें अल्प, मोबाइल ध्वनि-मैसेज से ही करते हैं संपर्क

नेट पर ही जाँच-ऑर्डर बुक कर सकते, भुगतान सुविधा भी है लब्ध।

भावी समय में मोबाइल पर ही और सुविधाऐं मिलेंगी, अतीत-कल्पना

मानव-जीवन और सुविधा-निकट, बस लाभ लेने की चाहिए है इच्छा॥

 

अनेक विशेषज्ञ, विश्व एक ग्लोबल-विलेज, गूगल के सर्जई व लैरी पेज,

फेसबुक- जुकेरबर्ग, एप्पल-स्टीव जॉब्स, माइक्रोसॉफ्ट- बिल गेट्स।

अनेक तकनीशियनों ने निष्ठा-कर्म से, सब ज्ञान-संगीत धारा दी बदल

पुराकाल सम ज्ञान न गुप्त-सीमित, है सार्वजनिक भले हेतु उपलब्ध॥

 

यह बाँटन-प्रवृत्ति पूर्व भी थी कुछ में, पर इतना सहज-साहचर्य न लब्ध

एक टॉपिक पर मिलें अनेक विचार-शोध, खोलता रचनात्मकता-द्वार।

सच ही तो है मस्तिष्क भी उपलब्ध ज्ञान पर ही, करता टिप्पणी-मनन

माना सूचना-बहुलता अतिरिक्त बुद्धि-भार, किंतु लेता निज अनुरुप॥

 

और अधिक विभिन्न विषयों में अपनी प्रवृष्टि करो॥


पवन कुमार,
12 जून, 2016 समय 19:06 सायं 
(मेरी डायरी दि० 3 मार्च, 2015 समय 10:24 बजे प्रातः से)       

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