Kind Attention:

The postings in this blog are purely my personal views, and have nothing to do any commitment from Government, organization and other persons. The views in general respect all sections of society irrespective of class, race, religion, group, country or region, and are dedicated to pan-humanity. I sincerely apologize if any of my writing has hurt someone's sentiments even in the slightest way. Suggestions and comments are welcome.

Wednesday 27 August 2014

अपना - गणतन्त्र

अपना - गणतन्त्र 
----------------------

आम मानव के सहज अधिकार 
इसी आज के दिन किए गए स्वीकार। 

कितनी बेड़ियों के दौर से गुजरा है यह आदमी 
 किसी रहम-दिल ने सोचा कि ये भी हैं आदमी। 
वरना कुछ को बिलकुल मालिक, ईश्वर का दर्ज़ा मिल गया था 
और बहुत तो थे बस अपनी बेबस हालत में ही सरोबार। 

किसी ने सोचा कि आदमी-आदमी में अंतर ही क्या है 
क्यों कुछ को निम्न और कुछ को उच्च समझा जाता है ? 
क्यों नहीं होते सबको उपलब्ध सम सभी अधिकार 
क्यों अपने को कुछ मानते ज्यादा ही बरखुरदार ? 

सम समाज से असमता का दौर ज्यों देखा 
तो मानवता का यूँ कलेजा फटने लगा। 
फिर तो श्रेष्ठता-अश्रेष्ठता के भेदभाव का अवमूल्यन होने लगा 
और कुछ लगे बढ़ने आगे और कुछ पीछे करते हाहाकार। 

फिर भी कुछ में अपनी हालात से उबरने की प्रबल इच्छा थी 
और यूँ चला फिर संघर्षों का दौर। 
समस्त अत्याचारों को मिटाने का यूँ मंसूबा 
ताकि सबको मिले एक उचित व्यव्हार। 

कुछ 'गणतन्त्र ' नाम है आम आदमी के उबार का नाम 
उन्नति चाहे थोड़ी ही हो लेकिन तो भी है उचित। 
और फिर सभी तरफ हो प्रतिभा का विकास 
दूर हो अंध-विश्वास, अपढ़ता, निर्धनता और अज्ञान का अन्धकार। 

पवन कुमार ,
27 अगस्त, 2014 समय 23:21 रात्रि      
( मेरी शिलोंग डायरी दि०  26 जनवरी, 2002 समय 10:40 से )  

No comments:

Post a Comment