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Saturday 7 June 2014

मेरी हिम्मत

मेरी हिम्मत 

इस अनजाने से सफर में कोई साथी तो मिला 
दूल्हा बेशक न बन पाया बाराती तो बना। 

कसक उठी थी मन में कुछ कर जाने की 
मुश्किल हुई ज़रा सी तो फिर बैठा ही मिला। 
यह तो कोई बात नहीं हुई मज़बूत मन्सूबों की 
दुनिया में इस तरह से तो कोई चोखा न बना। 

अंधेर नगरी और चौपट राजा, टके सेर काजू टके सेर खाजा 
तुम क्यों सोच रहे हो बुद्धु सम, अवसर है कुछ करके दिखा जा। 
मन के तुम बन जाओ रे बादशाह 
सफलता की चरम सीमा तक तू बढ़ के दिखा जा। 

बन जा पवित्र अंदर  से और कर दे दूर वहम सारे 
तू बस अन्तरात्मा के दामन में छुपता चला जा। 
वह कर देगा दूर समस्त अंधियारे 
फिर तू भी रोशनी से चमकता चला जा। 

पुरज़ोर कोशिश का नाम ही तो सफलता कहलाती 
तू फिर गर है कोई  तो परिभाषा बता जा। 
छोड़ जा तू अपने कदमों के निशाँ यहाँ पर 
सभी को नहीं तो कुछ को अपना बना जा। 

उन धुरंधरों की नगरी में तू आ पहुँचा है 
वज़ूद क्या कुछ है तेरा भी, ज़रा तो दिखा जा। 
जीना -मरना तो जीवन की स्वाभाविक क्रिया  
तू अगर है मर्द तो आज मरके भी जीकर दिखा जा। 

कोशिशों का सबब सुना था अपने चारों तरफ़ 
उन्हीं से तू  कुछ बड़ा बनाता चला जा। 
पर्वतों से टकराने की हिम्मत रखने वाले तू 
हर बला को फिर झुकाता चला जा। 

मेरी जान की बाज़ी है लगी इस जन्म में 
इसको तू  सफल बना के दिखा जा। 
मुझको परम तत्व तक पहुँचने की हिम्मत दे मौला 
राह तू मुझको दिखाता चला जा। 

योनियों के इस देश में कोई है वज़ूद तेरा 
हिम्मत है तो सिद्ध करके दिखा जा। 
सीख इस जीवन को सफल बनाने का तरीका 
हर आँधी में भी कदम बढ़ाता चला जा। 

पूर्वाग्रहों का नहीं है मेरा आलम 
हर राहगीर को गले लगाता चला जा। 
मैं हूँ सबका और सब हैं मेरे 
मुझको यह पाठ तू पढ़ाता चला जा। 

धन्यवाद, शुभ रात्रि। 

पवन कुमार ,
7 जून, 2014 समय 13:58 अपराह्न 
(मेरी शिलोंग डायरी दि० 12 अक्तुबर, 2001 समय 11:30 म० रा० )

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