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Sunday 23 March 2014

सकारात्मक नजरिया -अपनी ताकत

सकारात्मक नजरिया -अपनी ताकत 


राजीव ने कहा शब्दों में बड़ी जान है 
कहो कि चंगे हैं न कि बस समय काट रहे हैं। 

शब्द किञ्चित हमारी मनोदशा का प्रतीक हैं 
जब ये दुर्बल होते हैं, हम भी कमजोर पड़ने लगते हैं।  
अतः शब्द हमेशा शक्तिशाली एवं आशावादी बोलो 
ताकि जीने के प्रति रवैया हमारा सकारात्मक हो। 

अपनी इज्जत जब करोगे तभी तो शब्द निकलेंगे 
फिर सदा अहसास रहेगा कि हम भी इंसान हैं। 
क्यों मेरे भाई दिल छोटा करते हो 
आदमी की तरह सीधा खड़ा होना सीखो। 

न कोई बड़ा होता है और न ही छोटा 
स्वयं की सोच ही उसे उस श्रेणी में रखती है। 
अतः अपने को शक्तिशाली बनाओ 
सदा उचित-सार्थक शब्द ही इस्तेमाल करो। 

झुक कर चलने से कमर झुक जाती है 
अतः सीधा खड़ा होने की आवश्यकता है। 
दुनिया साथ देती है आशावानों का 
निराशावादियों को मात्र हमदर्दी ही मिलती है।

अतः क्यूँ न खुद खड़ा होकर लड़ने की अटूट इच्छा रखें। 

 पवन कुमार,
23  मार्च, 2014 समय 11:09 रात्रि 
(मेरी डायरी दि०  23.07.1999 समय 11:48 रात्रि ) 

3 comments:

  1. बहुत प्यारी अभिव्यक्ति है ….
    कुछ ऐसा राग रचें मिलकर
    सुनकर उल्लास उठे मन से
    कुछ ऐसी लय संगीत बजे
    सब बाहर आयें,घरोंदों से !
    गीतों में यदि झंकार न हो, तो व्यर्थ रहे महफ़िल सारी !
    रचना के मूल्यांकन में है , इन शब्दों की जिम्मेदारी !

    अंतिम पंक्ति में टाइप करने में भूल हुई है शायद , अटूक को अटूट करियेगा !
    बधाई बढ़िया रचना के लिए !

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  2. झुक कर चलने से कमर झुक जाती है
    अतः सीधा खड़ा होने की आवश्यकता है।
    दुनिया साथ देती है आशावानों का
    निराशावादियों को केवल हमदर्दी ही मिलती है।
    ..बहुत सुन्दर सार्थक रचना
    सच कहा आपने आशवादी का सभी साथ देते हैं ...

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